ये 5 राज्य करते हैं देश में आधे से अधिक अनाज का उत्पादन

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन की वैल्यू पर रिपोर्ट जारी की है। यह स्टैटिस्टिकल रिपोर्ट वित्त वर्ष 2011-12 से 2023-24 तक की है। रिपोर्ट में फसल, पशुपालन, वानिकी और मछली पालन जैसे सेगमेंट के उत्पादन की वैल्यू बताई गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2011-12 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन की वैल्यू (ग्रॉस वैल्यू एडेड-GVA) मौजूदा मूल्यों पर 15.02 लाख करोड़ रुपए थी। यह 2023-24 में 48.78 लाख करोड़ रुपए हो गई। इस तरह इसमें करीब 225% की वृद्धि हुई है। वर्ष 2013-14 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र का जीवीए 19.26 लाख करोड़ रुपए था। इस तरह पिछले 10 वर्षों में देखें तो कृषि क्षेत्र का जीवीए 153% बढ़ा है।

2011-12 के स्थिर मूल्यों को आधार मानें तो कृषि उत्पादन की कुल वैल्यू 2011-12 में 19.08 लाख करोड़ रुपए थी, जो 2023-24 में 29.49 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई। अर्थात स्थिर मूल्य के आधार पर कृषि उत्पादन की वैल्यू 12 वर्षों में 54.6% बढ़ी है।

अनाज उत्पादन में ये 5 राज्य आगे

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब (Punjab wheat production), तेलंगाना (Telangana crop) और हरियाणा ने 2023-24 में अनाज उत्पादन की वैल्यू में लगभग 53% का योगदान किया। सबसे अधिक हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh cereal output) की है। हालांकि 2011-12 की तुलना में इसकी खरीदारी 2023-24 में कम हुई है। यह 18.6% की तुलना में 17.2% रह गई।

तेजी से बढ़ रहा मछली पालन का हिस्सा

रिपोर्ट में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में विभिन्न सेगमेंट की हिस्सेदारी किस तरह बदली, इसके बारे में भी बताया गया है। कृषि उत्पादन की कुल वैल्यू में फसलों का हिस्सा 2011-12 में 62.4% था जो 2023-24 में घटकर 54.1% पर आ गया। इसकी भरपाई पशुपालन और मछली पालन से हुई है। पशुपालन का हिस्सा 25.6% से बढ़कर 31.2% हो गया है। इसी तरह फिशिंग और एक्वाकल्चर की हिस्सेदारी 4.2% से बढ़कर 7% हो गई है। वानिकी यानी फॉरेस्ट्री की हिस्सेदारी 12 साल पहले 7.8 प्रतिशत थी, अब यह 7.7% है।

फसलों में किसका हिस्सा कितना

2023-24 में फसलों के उत्पादन की वैल्यू 15.95 लाख करोड़ रुपए थी। इसमें अनाज और फल-सब्जियों का हिस्सा 52.5% था। अनाज की हिस्सेदारी 2011-12 में करीब 28% थी जो 2023-24 में 26% के आसपास आ गई। दालों का हिस्सा अब भी 5% से कम है। तिलहन की हिस्सेदारी 9% से थोड़ी कम हुई है। चीनी की हिस्सेदारी में भी गिरावट आई है और यह अभी 6% के आसपास है। मसाले का हिस्सा 4% से बढ़कर लगभग 6% हुआ है। सबसे ज्यादा वृद्धि फल और सब्जियों के उत्पादन की वैल्यू में हुई है और यह अनाज के लगभग बराबर आ गई है। इसका हिस्सा 22% से बढ़कर 25% से अधिक हो गया है।

सिर्फ अनाज की बात करें तो 85% से अधिक हिस्सेदारी धान और गेहूं की है। धान का हिस्सा 2011-12 में 50.7% था जो 2023-24 में 52.6% हो गया। गेहूं की हिस्सेदारी 35.5% से कुछ कम होकर 33% रह गई। मक्के का हिस्सा 7% से बढ़कर 9.3% हुआ है।

फलों में केले ने आम को पीछे छोड़ा

फलों में (स्थिर मूल्य पर) केले के उत्पादन की वैल्यू 2023-24 में 47,000 करोड़ रुपए आंकी गई। इसकी वैल्यू आम (46,100 करोड़) से अधिक हो गई है। 2011-12 से 2021-22 तक फलों के उत्पादन की वैल्यू में सबसे अधिक हिस्सा आम का रहता था। 2011-12 में आम का हिस्सा 29% था जो अब 25% रह गया है। केले की हिस्सेदारी बढ़कर 26% हो गई है।

सब्जियों में सबसे अधिक वैल्यू आलू की है। वर्ष 2011-12 में इसके उत्पादन की वैल्यू (स्थिर मूल्य पर) 21,300 करोड़ रुपए थी जो 2023-24 में 37,200 करोड़ रुपए हो गई। फूलों के उत्पादन की वैल्यू 17,400 करोड़ से बढ़कर 28,100 करोड़ रुपए हुई है।

मध्य प्रदेश बना सबसे बड़ा मसाला उत्पादक

मध्य प्रदेश मसाले का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। इनके उत्पादन की वैल्यू में प्रदेश के हिस्सेदारी 2023-24 में 19.2% थी। कर्नाटक 16.6% के साथ दूसरे और गुजरात 15.5% के साथ तीसरे स्थान पर है।

दूध का हिस्सा घटा, मीट का बढ़ा

पशुपालन से जुड़े उत्पादों की वैल्यू 12 वर्षों में 4.88 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 9.19 लाख करोड़ रुपए हो गई है। इस तरह कृषि और संबद्ध गतिविधियों में यह सबसे तेजी से बढ़ने वाले सेगमेंट में एक है। सबसे अधिक प्रगति दूध में की वैल्यू में हुई है। हालांकि इसका हिस्सा 67.2% से घट कर 65.9% रह गया है। मीट का हिस्सा 19.17% से बढ़कर 24.1% हो गया है।

फिशिंग और एक्वाकल्चर सेगमेंट काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसकी हिस्सेदारी 2011-12 में 4.2% थी जो 2023-24 में 7% पहुंच गई। इस दौरान इनलैंड फिश की हिस्सेदारी 57.7% से घटकर 50.2% पर आ गई लेकिन समुद्री मछलियों का हिस्सा 42.3% से बढ़कर 49.8% हो गया।

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