चक्रवाती तूफान वायु के कारण मानसून की गति प्रभावित हुई है। कई राज्यों में मानसून अब तय समय से देरी से पहुंचेगा। तूफान वायु ने भारत के पश्चिमी तट पर प्रभाव डाला है। जिस कारण तेज हवा के साथ कई इलाकों में भारी बारिश भी हुई। अब चक्रवात वायु ओमान की तरफ मुड़ चुका है।
आईएमडी के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डा एके श्रीवास्तव ने बताया कि मानसून सीजन में वायु जैसे तूफान बहुत ज्यादा कुदरती ताकत खींच लेते हैं। इसका सीधा असर मानसून की गति पर पड़ता है। समुद्री इलाकों से मैदानी इलाकों तक आगे बढ़ने के लिए कुदरती ताकत की जरूरत होती है। वायु की वजह से मानसून की ताकत कम हो जाएगी और उसे आगे बढ़ने में दुश्वारी आएगी। एक तरह से उसे आगे बढ़ने के लिए कुदरती तौर पर खुद को ‘रिचार्ज’ करना होगा।
प्री मानसून बारिश से भीगी मुंबई
मुंबई में पिछले 24 घंटों से प्री मानसून बारिश हो रही है जिसके शनिवार को भी जारी रहने की उम्मीद है। मुंबई के सांताक्रूज में 0.3 मिमी. और कोलाबा में 6.0 मिमी. बारिश हुई। इससे लोगों को गर्मी से राहत मिली। इस साल मानसून एक हफ्ते की देरी से 8 जून को केरल पहुंचा है। 2018 में मानसून तीन दिन पहले ही 29 मई को केरल पहुंच गई है।
मानसूनी बारिश के लिए इन राज्यों में लंबा हुआ इंतजार
मानसून पर चक्रवाती तूफान वायु के प्रभाव के कारण उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को और इंतजार करना पड़ेगा। पश्चिमी उत्तर, दिल्ली और उत्तर भारत के कई इलाकों में मानसून के आने की सामान्य तिथि 1 जुलाई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार वायु के असर से अब इसमें 10 से 15 दिन तक की देरी हो सकती है। इससे भीषण गर्मी झेल रहे इन इलाकों में स्थिति और बिगड़ने के आसार बन गए हैं।
जून में 50 फीसदी तक कम हो सकती है मानसूनी बारिश
वैज्ञानिकों के अनुसार पहले से ही देरी से आ रहे मानसून की गति वायु के चलते प्रभावित होने से जून माह की कुल मानसूनी बारिश में 40 से 50 फीसदी तक की कमी आ सकती है। हालांकि उत्तर भारत में मानसून की अधिकांश बारिश जुलाई से शुरू होती है। लेकिन देरी के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी भारत के इलाके गंभीर जलसंकट से गुजर सकते हैं।
महाराष्ट्र-कर्नाटक पर ज्यादा मार
सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्यों में शामिल महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड का कहना है कि कम बारिश की वजह से इस साल प्रदेश में गन्ने का रकबा करीब 28 फीसदी कम हो गया है। इस कारण चीनी उत्पादन भी पिछले साल के 65 लाख टन के मुकाबले 39 फीसदी कम रहने का अनुमान है। कर्नाटक में अमूमन 5 जून को और महाराष्ट्र में 10 जून को मानसून आ जाता है, लेकिन इस साल इसमें काफी देरी हो रही है।
देश में सूखे से इस साल 15 फीसदी कम रहेगा चीनी उत्पादन
चीनी
देश में गन्ना उत्पादक राज्यों पर सूखे की मार पड़ने से इस साल चीनी का उत्पादन कम रहने का अनुमान है। यह 15 फीसदी कम होकर तीन साल के निचले स्तर पर जा सकता है। दूसरे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सूखे का सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका है।