यूपी में कानून व्यवस्था का हाल-बेहाल, प्रियंका-मायावती-अखिलेश के निशाने पर योगी सरकार…
उत्तर प्रदेश में बीते दिनों में लगातार हत्या, किडनैपिंग के मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश में कानून व्यवस्था के मसले पर लगातार फेल होती दिख रही योगी आदित्यनाथ की सरकार पर अब विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. अखिलेश यादव से लेकर मायावती और प्रियंका गांधी के निशाने पर अब योगी सरकार है. विपक्ष की ओर से पत्रकार की हत्या के अलावा कई इलाकों में हुए गोलीकांड पर जवाब मांगा गया है.
यूपी में कानून व्यवस्था का हाल-बेहाल
राज्य के बलिया में न्यूज चैनल के पत्रकार रतन सिंह को बदमाशों ने गोली से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया. रतन सिंह ने अपनी जान बचाने की कई कोशिशें की, लेकिन बदमाशों ने दौड़ा-दौड़ाकर उन्हें मारा. इसके अलावा बागपत में जब एक युवक अपने घर के बाहर बैठा था, तब दो बदमाशों ने आकर उसे गोलियों से भून दिया. इन घटनाओं के अलावा आजमगढ़ और सुल्तानपुर में हुई घटनाओं ने भी प्रदेश की कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है.
योगी सरकार पर बरसा विपक्ष
सूबे में लगातार हो रहीं इन घटनाओं को लेकर विपक्ष आक्रामक है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से ट्वीट कर निशाना साधा गया और आरोप लगाया गया कि यूपी में दो दिन में दर्जनभर मर्डर हो गए. प्रियंका ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘यूपी के सीएम सरकार की स्पीड बताते हैं और अपराध का मीटर उससे दोगुनी स्पीड से भागने लगता है. प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्. ये यूपी में केवल दो दिनों का अपराध का मीटर है. यूपी सरकार बार-बार अपराध की घटनाओं पर पर्दा डालती है, मगर अपराध चिंघाड़ते हुए प्रदेश की सड़कों पर तांडव कर रहा है.’ इसके अलावा एक अन्य ट्वीट में प्रियंका गांधी की ओर से पत्रकारों की हत्याओं के मसले को उठाया गया.
अखिलेश ने बताया गुनाहपुर
प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार को निशाने पर लिया. अखिलेश ने ट्विटर पर लिखा कि भाजपा सरकार में अगर गोरखपुर में हत्या, बलात्कार व अपहरण का यही हाल रहा तो शीघ्र ही मान्यवर को गोरखपुर का नाम बदलकर ‘गुनाहपुर’ करना पड़ेगा. जिनसे अपना शहर नहीं संभल रहा, वो प्रदेश क्या संभालेंगे. कोई उन्हें ज्ञान दे कि अपराध के रहते विकास नहीं हो सकता.
अखिलेश के अलावा मायावती ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी काल में भी अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है और अब तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया जगत के लोग भी यहां आए दिन हत्या व जुर्म के शिकार हो रहे हैं. आजमगढ़ मंडल में हुई पत्रकार की हत्या इसका ताजा उदाहरण है.