यूपी: पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं वाले धार्मिक मेलों का खर्च उठाएगी सरकार

इस दायरे में आने वाले मेलों के लिए मेला समिति हर छह माह में कम से कम एक बार अनिवार्य रूप से बैठक करेगी। इसमें बिंदुवार प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी।

प्रदेश सरकार ने धार्मिक मेलों के आयोजन को लेकर बड़ा फैसला किया है। सरकार ने तय किया है कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले धार्मिक मेलों का खर्च खुद उठाएगी। हालांकि सरकार ने इसके लिए भीड़ का मानक का शर्त भी रखा है। सरकार उसी मेले के आयोजन का खर्च देगी, जिसमें न्यूनतम 5 लाख या उससे अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। नगर विकास विभाग ने इसके लिए बुधवार को मानक संचालन प्रकिया (एसओपी) जारी किया है।

एसओपी के मुताबिक ऐसे मेलों के आयोजन के साथ ही उसकी सारी व्यवस्था देखने के लिए संबंधित जिले की डीएम की अध्यक्षता में मेला समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में एसडीएम स्तर का अधिकारी संयोजक होगा। जबकि नगर आयुक्त सदस्य सचिव के तौर पर समिति में शामिल होंगे। इनके अलावा भी चार सदस्य होंगे। वहीं, सरकार ने धार्मिक मेलों को प्रांतीय मेला घोषित करने की भी पक्रिया में भी बदलाव किया है।

अब डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुति पर ही किसी मेले को प्रांतीय मेला घोषित किया जाएगा। एसओपी के मुताबिक मेले को प्रांतीय मेला घोषित करने के लिए उसके धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक महत्व, आयोजन की अवधि व स्वरूप को देखा जाएगा। साथ ही उसी मेले को प्रांतीय मेला घोषित किया जा सकेगा, जिसमें आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या न्यूनतम पांच लाख होगी।

हर छह माह में होगी बैठक
मेला समिति हर छह माह में कम से कम एक बार अनिवार्य रूप से बैठक करेगी। इसमें बिंदुवार प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। मेले के लिए शुल्क, टोल या उपयोगकर्ता प्रभार लगाने पर असहमति होने पर डीएम सामान्यत: समिति की सलाह को स्वीकार करेगा। यदि सलाह स्वीकार्य न हो तो समिति मामले को मंडलायुक्त के समक्ष भेजेगा। इस पर मंडलायुक्त का फैसला अंतिम होगा। मेले के आयोजन के संबंध में अनुमाति व्यय के लिए मेला समिति सीएसआर फंड और मेले से प्राप्त होने वाली निकाय की आय को विस्तृत कार्य योजना में शामिल किया जाएगा।

प्रांतीय मेले के आयोजन के लिए खर्च की व्यवस्था सीएसआर फंड, मेले से होने वाली निकाय की आय से सुनिश्चित किया जाएगा। राज्य सरकार के अन्य विभागों जैसे लोक निर्माण, सिंचाई जल संसाधन, पुलिस विभाग और पंचायती राज्य विभाग के वित्तीय स्रोतों से कराया जाएगा। इसके अलावा जिलाधिकारी द्वारा नगर विकास विभाग से पैसे की मांग की जाएगी। श्रद्धालुओं के लिए आवासीय सुविधा के लिए टेंट व पेयजल की सुविधा दी जाएगी। बैरिकेडिंग, वॉचटावर के साथ सूचना तंत्र की व्यवस्था होगी। अस्थाई प्रकाश व्यवस्था, सजावट, नाव, नाविक, गोताखोर की जरूरत पर व्यवस्था होगी। अस्थाई सड़क, अस्थाई शौचालय की सुविधा दी जाएगी।

श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर मिलेगी धनराशि
सरकार ने मेला को धनराशि दिए जाने के लिए श्रद्धालुओं की संख्या को मानक बनाया है। संख्या के आधार पर धनराशि भी तय की दई है। मेले में 5 से 10 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ वाले मेले के लिए सरकार जहां 25 से 50 लाख रुपए देगी, वहीं, 10 से 20 लाख की भीड़ वाले मेले पर 50 से 75 लाख और 20-40 लाख भीड़ वाले मेले पर 75 से एक करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसी तरह 40 से 60 लाख भीड़ वाले मेले के लिए 01 से 1.25 करोड़ और 60 से अधिक भीड़ वाले मेले के लिए सरकार 1.25 से 1.50 करोड़ रुपये देगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button