उ. प्र. चुनाव 2017: चुनाव से पहले ही हिल गई, सपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार
उत्तर प्रदेश विधानभा चुनाव में अभी भले ही सपा-कांग्रेस का गठबंधन जीत हासिल करने की बात कर रहा है, पर अभी भी दोनों पार्टियों के प्रत्याशी सीट की मारामारी में फंसे हुए है।
ऐसे में इस गठबंधन की कुछ सीट खटाई में पड़ सकती है। समाजवादी पार्टी के साथ ही कांग्रेस के आला-कमान के आदेशों के बाद भी प्रत्याशी अपनी मनमर्जी करने में जुटे हुए है। अब पार्टी के लिए ऐसे प्रत्याशियों को समझाना मुश्किल हो गया है।
समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के इस गठबंधन का एक पेंच लखनऊ में ही फंसा है। इस गठबंधन में सीटों को लेकर भले ही सहमति बन चुकी है, लेकिन पार्टी प्रत्याशियों को यह सहमति रास नहीं आ रही है। लखनऊ मध्य की सीट पर समाजवादी पार्टी ने मंत्री तथा इसी सीट से विधायक रविदास मेहरोत्रा को उतारा है।
इनके साथ ही कांग्रेस से मारूफ खान मैदान मेें हैं। इन दोनों ने ही नामांकन पत्र भरा है।समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर गठबंधन के तहत रविदास मेहरोत्रा से चुनाव लडऩे को कहा था। कांग्रेस नेता मारूफ खान इस सीट को छोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं।
मारूफ खान ने आज लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर लखनऊ मध्य सीट से लडऩे का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं अपना चुनाव पूरी ताकत से साथ लड़ूंगा। मारूफ ने दावा किया कि वह गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं आदेश मानने से इंकार कर दिया है। उनका दावा है कि उन्हें किसी ने चुनाव लडऩे से नहीं रोका है। इसके साथ ही मध्य क्षेत्र की जनता चाहती है कि वह चुनाव लड़ें। वह पिछले कई दिनों से क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं।
मारूफ खान ने इस दौरान राहुल गांधी और अखिलेश यादव के गठबंधन के फैसले को भी सराहा। गठबंधन के बाद भी लखनऊ मध्य की सीट पर बड़ा विवाद है। अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझता है तो इसका फायदा विरोधी पार्टियों को भी मिल सकता है।