बड़ा ऐलान: यूपी को ‘वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट’ की सौगात देगी योगी सरकार, मिलेंगी 25 लाख नौकरियां

योगी सरकार नए साल में प्रदेशवासियों को ‘एक जिला-एक उत्पाद योजना’ की सौगात देने की तैयारी कर रही है। इसके तहत स्थानीय कारीगरों, उद्यमियों को पांच वर्ष में 25 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दिलाने का प्रस्ताव है। इससे हर साल पांच लाख और पांच वर्ष में 25 लाख लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही प्रदेश की जीडीपी में भी 2 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है। यह योजना प्रदेश के पहले स्थापना दिवस समारोह पर 24 जनवरी को लॉन्च की जा सकती है।
बड़ा ऐलान: यूपी को 'वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट' की सौगात देगी योगी सरकार, मिलेंगी 25 लाख नौकरियांवन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत सरकार जिलों में फैले छोटे, मझोले और परंपरागत उद्योगों की लुप्त होती पहचान को पूरी दुनिया तक फैलाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कारीगरों, उद्यमियों को विभिन्न योजनाओं से वित्तीय सहायता दिलाकर कारोबार बढ़ाने में मदद की जाएगी। इससे उत्पाद की क्वालिटी मार्केट में प्रतिस्पर्धा लायक बनाने के लिए नई तकनीक की सुविधा भी मिल सकेगी।

यही नहीं सरकार प्रोडक्ट के प्रचार-प्रसार और बिक्री में भी मदद करेगी। इससे न सिर्फ जिले व क्षेत्र विशेष तक सीमित उत्पाद एक ब्रांड के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहचान बना पाएंगे, बल्कि ब्रांड यूपी की पहचान भी बनेगा। सरकार इसके लिए उद्यमियों को प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग के साथ ही एक्सोपजर विजिट भी कराएगी।

योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ये ऐसे काम हैं जो परंपरागत तरीके से जिलों में हो रहे हैं। इस योजना के नतीजे आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इससे अगले पांच साल में प्रदेश की जीडीपी में भी दो फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। अधिकारी का दावा है कि इससे स्थानीय पर रोजगार बढ़ेंगे जिससे रोजगार के लिए होने वाला पलायन भी रुकेगा।

जापान के प्रयोग को अपनाएगा यूपी

वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट स्कीम की शुरुआत जापान केओइटा प्रांत के गर्वनर मोरिहिको हिरामत्सु ने 1979 में किया था। इसके बाद थाईलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री थैक्सिन सुवामात्रा के समय में वन टैम्बून-वन प्रोडक्ट के रूप में इसे आगे बढ़ाया गया। इसके अलावा इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया व चीन भी इस मॉडल पर काम कर रहे हैं। प्रदेश की खास सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व भौगोलिक स्थिति को देखते हुए  यह मॉडल प्रदेश के समावेशी विकास के लिए बेहद उपयोगी माना जा रहा है।

ये हैं एक जिले के एक उत्पाद
आगरा-लेदर उत्पाद। फिरोजाबाद-कांच की चूूड़ियां। मथुरा-बाथरूम फिटिंग्स। मैनपुरी-तारकशी। अलीगढ़- ताले और हार्डवेयर। हाथरस-हींग प्रोसेसिंग। एटा-घुंघरू व घंटी। कासगंज-जरी व जरदोजी। इलाहाबाद- फ्रूट प्रोसेसिंग (अमरूद)। प्रतापगढ़- फ्रूट प्रोसेसिंग (आंवला)। कौशांबी-फ्रूट प्रोसेसिंग (केला)। आजमगढ़-ब्लैक पाटरी। बलिया-बिंदी। मऊ-पावरलूम। बरेली-जरी वर्क। बदायूं-जरी वर्क। पीलीभीत-बांसुरी। शाहजहांपुर-जरी वर्क। संतकबीरनगर-पीतल के बर्तन। सिद्धार्थनगर- फूड प्रोसेसिंग (काला नमक चावल)। चित्रकूट-लकड़ी के खिलौने। बांदा-सजर स्टोन क्राफ्ट। महोबा- गौरा स्टोन क्राफ्ट। हमीरपुर-जूती। गोंडा- फूड प्रोसेसिंग (दाल)। बहराइच- गेहूं के डंठल की कलाकृतियां। बलरामपुर-फूड प्रोसेसिंग (दाल)। फैजाबाद- गुड़ एवं जेगरी उत्पाद। बाराबंकी-दुपट्टा। अंबेडकरनगर-पावरलूम। अमेठी-बिस्कुट। सुल्तानपुर-मूंज के बने फर्नीचर (मचिया)। गोरखपुर- टेराकोटा। कुशीनगर- काष्ट कलाकृतियां। देवरिया- प्लास्टिक के तोरण द्वार। महराजगंज-फर्नीचर। झांसी- सॉफ्ट ट्वायज। जालौन (उरई) – हैंडमेड पेपर। ललितपुर- कृष्ण की मूर्ति। कानपुर नगर-लेदर उत्पाद। इटावा – फूड प्रोसेसिंग (आलू के उत्पाद)। औरैया-देसी घी। फर्रुखाबाद-ब्लाक प्रिंटिंग। कन्नौज-इत्र। लखनऊ- इम्ब्राइडरी (चिकन)। उन्नाव-जरी। रायबरेली- वुड क्राफ्ट। सीतापुर-दरी। लखीमपुरखीरी- ट्राइबल क्राफ्ट। हरदोई-डेयरी उत्पाद। मेरठ-स्पोर्ट्स गुड्स। बागपत-हैंडलूम। गाजियाबाद-इंजीनियरिंग गुड्स। बुलंदशहर-पाटरी (खुर्जा)। गौतमबुद्धनगर- रेडीमेड गारमेंट्स। हापुड़-होम फर्नीसिंग। मुरादाबाद-मेटल क्राफ्ट। रामपुर-पैचवर्क। बिजनौर- लकड़ी की नक्कासी।  अमरोहा- म्यूजिकल इंस्ट्रमेंट्स (ढोलक)। संभल-हार्न व बोन। मिर्जापुर-दरी व कालीन। सोनभद्र- कालीन। भदोही-दरी व कालीन। सहारनपुर-वुड कार्विंग। मुजफ्फरनगर-गुड़ व जेगरी। शामली- हब एंड एक्सल। वाराणसी- सिल्क उत्पाद। गाजीपुर- वाल हैंगिंग्स। जौनपुर- प्रेशर कुकर। चंदौली- जरी एवं जरी गुड्स।

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