यूपी: आगमन गेस्ट हाउस का मामला…जमीन के लिए अखिलेश ने की थी हत्या की कोशिश

अधिवक्ता अखिलेश दुबे, उनके भाई और बेटी पर वक्फ बोर्ड की करोड़ों की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए हड़पने का आरोप लगा है। इस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि पैरवी करने पर आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की कोशिश भी की थी।

कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे के साथ अब उसके परिवार पर भी कानून का शिकंजा कसना शुरू हो गया है। ग्रीन पार्क के सामने स्थित वक्फ बोर्ड की जमीन को कूटरचित दस्तावेजों की मदद से खरीदने-बेचने व कब्जाने के खेल में उसकी बेटी सौम्या और भाई सर्वेश भी फंसते नजर आ रहे हैं। इस जमीन सर्वेश दुबे का कब्जा है। ग्वालटोली थाने में इनके खिलाफ एफआईआर करवाने वाले परेड निवासी (मुतवल्ली) केयरटेकर मोइनुद्दीन आसिफ जाह शेख आसिफ जाह का कहना है कि आरोपियों ने जमीन को लेकर किसी भी तरह के विवाद को खत्म करने के लिए उन्हें व उनके भाई को ट्रक से कुचलवाने का प्रयास भी किया था।

मोइनुद्दीन का आरोप है कि वक्फ संपत्ति को बचाने के लिए पैरवी करने पर जाजमऊ थाने के दरोगा सभाजीत ने अखिलेश के साथियों के साथ मिलकर उन्हें धमकाया और कहा था कि झूठे मुकदमे में फंसा देंगे। अप्रैल 2024 में अधिवक्ता का एक गुर्गा श्रीवास सिंह सभाजीत के साथ घर आया और डरा-धमकाकर एक कागज पर हस्ताक्षर करा लिए और आधार साथ ले गए। कहा कि लखनऊ में दर्ज रिपोर्ट की पैरवी बंद नहीं की तो जेल जाना पड़ेगा। इसके कुछ दिन बाद श्रीवास सिंह घर आया।

99 वर्ष के पट्टे पर 2010 तक के लिए दी गई थी जमीन
कहा कि तुम्हारे कारण अखिलेश दुबे के काफी रुपये खर्च हुए हैं, पांच लाख रुपये दो। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज किया, तो आरोपियाें ने घर आना बंद कर दिया। ट्रक से कुचलकर जान लेने का प्रयास किए जाने के बाद उन्होंने जब डीएम से शिकायत की, तो उन्होंने एसआईटी का गठन किया। मोइनुद्दीन के मुताबिक सिविल लाइंस की यह संपत्ति फखरुद्दीन हैदर वक्फ नंबर 70 की है। यह एसएम बशीर के पिता हाफिज हलीम को 99 वर्ष के पट्टे पर 2010 तक के लिए दी गई थी।

धन-बल व गुंडई के दम पर कर लिया कब्जा
फिर यह वक्फ की हो गई। इसे किसी को स्थानांतरित भी नहीं किया जा सकता था। इसे लेकर मुकदमा भी चला था। साथ ही विजिलेंस जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। 2016 में चार्जशीट भी लग गई थी। बेदखली की कार्रवाई के बीच ही अखिलेश दुबे, उसके भाई सर्वेश दुबे, बेटी सौम्या व एच-2 ब्लॉक किदवईनगर निवासी राज कुमार शुक्ला, गोविंदनगर निवासी जय प्रकाश दुबे, कन्नौज के मकरंदनगर के कुतलूपुर निवासी श्रीवास सिंह उर्फ पप्पू व साथियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर धन-बल व गुंडई के दम पर इस संपत्ति पर कब्जा कर लिया।

लाल इमली बनाने के लिए अंग्रेजों को दी थी जमीन
बिना अधिकार के फर्जी पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर राज कुमार शुक्ला ने 26 फरवरी 2016 को रजिस्टर्ड पट्टा सर्वेश दुबे एवं मेसर्स केनरी अपारेल्स प्रा.लि. के पंजीकृत कार्यालय के नाम पर कराया। दस्तावेजों में विवाद की दशा में सौम्या दुबे को अंतिम निर्णय लेने वाले पंच के रूप में दर्शाया गया है। मोइनुद्दीन का आरोप है कि उन्होंने राजकुमार शुक्ला के विरुद्ध कई बार किदवई नगर थाने में शिकायत की। हालांकि अखिलेश के दबदबे के चलते कोई कार्रवाई नहीं की गई। डीसीपी सेंट्रल श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि अखिलेश और उसके भाई सर्वेश, बेटी सौम्या व अन्य पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। यह उसी परिवार की जमीन है, जिसने लाल इमली बनाने के लिए अंग्रेजों को जमीन दी थी।

इन धाराओं में हुई कार्रवाई
467: मूल्यवान प्रतिभूति वसीयत आदि की जालसाजी से संबंधित है।
468: धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी।
470: झूठे या जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करना।
420: धोखाधड़ी और बेइमानी से संपत्ति का हस्तांतरण।
307: हत्या का प्रयास।
452: घर में घुसकर चोट पहुंचाना, हमला या गलत तरीके से रोकने की तैयारी।
506: किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना या डराने की धमकी देना।
384: जबरन वसूली, किसी को धमकी देकर उसकी संपत्ति पर कब्जा करने का प्रयास करना।

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