यूट्यूब से अपने विज्ञापन हटा रही हैं कई कंपनियां, जानें वजह

बड़ी कंपनियों का यूट्यूब से अपने विज्ञापनों को वापस लेने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. जिससे यह संकेत मिलता है कि बड़े विज्ञापन देने वाली कंपनियों को आपत्तिजनक विषयों वाले वीडियो के साथ मार्केटिंग विज्ञापनों को दिखाने से रोकने की गूगल की क्षमता पर संदेह है. पेप्सिको, वॉलमार्ट स्टोर्स और स्टारबक्स ने यूट्यूब पर अपने विज्ञापनों को रद्द करने की कल पुष्टि की थी.उन्होंने यह कदम वॉल स्ट्रीट जर्नल की उस खबर के बाद उठाया जिसमें पाया गया कि गूगल के ऑटोमेटेड प्रोग्राम ने उनके ब्रांडों के विज्ञापनों नस्ली सामग्री वाले पांच वीडियो के साथ प्रदर्शित किए.इससे पहले एटीएंडटी, वेरिजोन, जॉनसन एंड जॉनसन, फॉक्सवैगन और कई अन्य कंपनियों ने यूट्यूब से अपने विज्ञापन वापस ले लिये थे. ब्रांडों की छवि खराब करने के लिए गूगल ने माफी मांगी थी और आपत्तिजनक वीडियो के साथ उनके विज्ञापन ना दिखाने के लिए कदम उठाने का जिक्र भी किया था. इसके बावजूद विज्ञापन वापस लेने का सिलसिला जारी है. गूगल, यूट्यूब वीडियो में विज्ञापन डालने के लिए ऑटोमेटेड प्रोग्राम पर निर्भर है.

यूट्यूब पर हर मिनट करीब 400 घंटे के वीडियो डाले जाते हैं. कंपनी ने वीडियो की समीक्षा करने के लिए और अधिक लोगों को काम पर रखने और कम्प्यूटर द्वारा बेहद खराब वीडियो का पता लगाने के लिए अधिक प्रभावशाली प्रोग्राम विकसित करने की बात कही है. विज्ञापनदाताओं ने स्पष्ट किया है कि जब तक उन्हें भरोसा नहीं होगा कि स्थिति गूगल के नियंत्रण में है तब तक वे यूट्यूब पर विज्ञापन नहीं देना चाहेंगे.वालमार्ट ने एक बयान में कहा, जिस सामग्री के साथ हमें जोड़ा जा रहा है वह घटिया है और हमारी कंपनी के मूल्यों के खिलाफ है. वालमार्ट, पेप्सिको और कई अन्य कंपनियों ने कहा है कि वे यूट्यूब पर विज्ञापन देना बंद करने के अलावा उन वेबसाइटों पर भी विज्ञापन देना बंद कर देगी जिन पर गूगल विज्ञापन डालता है. गूगल विज्ञापनदाताओं को वापस लाने में नाकाम रहता है तो उसे राजस्व में अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button