युवाओं को तेजी से अपना शिकार बना रहा है पेट का कैंसर

पेट के कैंसर (Stomach Cancer) का पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि इसके ज्यादातर लक्षण सामान्य अपच की समस्या से मेल खाते हैं। इसके पीछे जेनेटिक्स के अलावा हमारी डाइट और लाइफस्टाइल की भी काफी अहम भूमिका होती है। इसलिए इनमें कुछ सुधार करके पेट के कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है।
हाल के सालों में युवाओं में पेट के कैंसर से जुड़े मामलों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह एक बेहद गंभीर समस्या है, जिसके पीछे हमारे खान-पान और लाइफस्टाइल का काफी बड़ा हाथ है। इसलिए डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार करके इसके जोखिम को कम भी किया जा सकता है।
पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए हार्वर्ड के गैस्ट्रोएंटीरियोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने एक वीडियो में कुछ टिप्स शेयर किए। इन टिप्स को फॉलो करने से पेट के कैंसर के रिस्क को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। आइए जानें क्या हैं ये टिप्स।
क्रूसिफेरस सब्जियों को डाइट में शामिल करें
सबसे पहला और आसान तरीका है अपनी डाइट में क्रूसिफेरस सब्जियों को शामिल करना। इसमें ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी, और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी सब्जियां आती हैं। डॉक्टर सेठी के अनुसार, “ये सब्जियां सल्फोराफेन नामक एक पावरफुल कंपाउंड से भरपूर होती हैं, जिसमें एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं।” सल्फोराफेन शरीर में उन एंजाइम्स को एक्टिव करने में मदद करता है, जो कैंसर पैदा करने वाले एजेंट्स को बेअसर करते हैं और सेल्स की सुरक्षा करते हैं।
लहसुन को खाने का हिस्सा बनाएं
दूसरा सबसे आसान तरीका है नियमित रूप से लहसुन खाना। लहसुन में एलिसिन नाम का एक्टिव कंपाउंड पाया जाता है। डॉक्टर सेठी बताते हैं, “प्री-क्लीनिकल स्टडीज में एलिसिन के एंटी-कैंसर गुण देखे गए हैं।” यह कंपाउंड शरीर में कैंसर सेल्स के विकास को रोकने और उन्हें खत्म करने में मददगार हो सकता है। लहसुन को कच्चा या हल्का पकाकर खाना सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।
प्रोसेस्ड मीट सीमित मात्रा में खाएं
तीसरा तरीका है प्रोसेस्ड मीट कम से कम खाना। सॉसेज, बेकन, सलामी, और हैम जैसे प्रोडक्ट्स में नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स जैसे प्रिजर्वेटिव्स होते हैं, जो पेट में जाकर कार्सिनोजेनिक कंपाउंड्स में बदल सकते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी प्रोसेस्ड मीट को ग्रुप-1 कार्सिनोजन घोषित किया है। इनकी जगह पर ताजी मछली, लीन मीट, अंडे, दाल और बीन्स को चुनना एक बेहतर विकल्प है।
H. pylori का टेस्ट करवाएं
डॉ. सेठी ने पेट के कैंसर का जोखिम कम करने के लिए इसे सबसे जरूरी स्टेप बताया। यह पेट के कैंसर का एक अहम रिस्क फैक्टर है। H. pylori एक बैक्टीरिया है, जो पेट के अंदर लंबे समय तक इन्फेक्शन पैदा कर सकता है, जिससे पेट में जलन, अल्सर और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपको लगातार अपच, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, भारीपन, या बार-बार डकार आने की समस्या हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और H. pylori का टेस्ट करवाएं।