विजय दिवस: युद्ध की कुछ ऐसी बातें, जिसे जानकर हर भारतीय का सीना गर्व से हो जाएगा चौड़ा
16 दिसंबर के दिन पूरा हिन्दुस्तान विजय दिवस मनाता है. सैनिक कम थे मगर दुश्मन को पस्त करने का हौसला बुलंद था. हम बात कर रहे हैं भारत पाक 1971 लोंगेवला युद्ध की जिस पर बॉर्डर फिल्म का निर्माण किया गया है.
सुबह रामगढ़ में नाश्ता करना चाहता था पाक
पकिस्तान के हजारों सैनिकों को भारत के नाम मात्र के सैनिकों ने रात भर रोक कर रखा था. पाकिस्तानियों का कहना था की हम सुबह का नाश्ता रामगढ़ में करेंगे , दोपहर का खाना जैसलमेर में खाएंगे और रात का खाना जोधपुर में खाएंगे, लेकिन भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस के आगे वो टिक नहीं पाए और आज ही के दिन हमने उनको धूल चटा दी थी.
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युद्ध की याद में म्यूजियम बनाया
जैसलमेर में उसी युद्ध की याद में एक वार म्यूजियम बनाया गया है जिसमे युद्ध के समय के टैंक, हंटर विमान, ट्रक रखे गए हैं. साथ ही पाकिस्तान के टैंक और ट्रक भी रखे गए हैं जो वो उस वक्त छोड़कर भाग गए थे. वो याद दिलाते हैं हमारे गौरव सैनानियों की जिन्होंने दुश्मन के दांत खट्टे करके उनको यहां से भागने पर मजबूर कर दिया था.
पाक सैनिकों को करारा जवाब
उस दौरान पाक सेना ने जिस सीमा चौकी पर हमला किया था वहां पर भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट के नाम मात्र की संख्या में जवान ही तैनात थे और उनके पास पाक सेना से निपटने के हथियार भी सीमित थे, लेकिन सीमित हथियारों के बावजूद जांबाज सैनिकों ने पाक सैनिकों को करारा जवाब दिया था. इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने भी अहम भूमिका निभाई. भारतीय लड़ाकू विमान ने दुश्मन पर कहर बरपाते हुए उनके सैकड़ों टैंक रेगिस्तान में नेस्तनाबूद कर दिए. आज भी लोंगेवाला में इस युद्ध के निशान भारतीय जांबाजों की वीरता की कहानी बयां कर रहे हैं. पाकिस्तान की 38 बलोच ने आधी रात को सीमा स्तंभ 638 के नजदीक भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करते हुए लोंगेवाला सीमा चौकियों पर टैंकों से हमला कर दिया था.
50 से ज्यादा टैंकों को नष्ट किया
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