यहां पढ़ें संपूर्ण तुलसी चालीसा, गुरुवार के दिन पाठ से खुलेंगे किस्मत के ताले

गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है। ऐसे में आप गुरुवार के दिन तुलसी चालीसा पाठ के द्वारा भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यहां पढ़ें संपूर्ण तुलसी चालीसा पाठ करने की सरल विधि और इसके चमत्कारी लाभ।
श्री तुलसी चालीसा
(दोहा)
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।
(चौपाई)
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयति भवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता।
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
करहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
(दोहा)
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।
समझें तुलसी चालीसा का सार
तुलसी चालीसा केवल शब्दों का समूह नहीं है, इसमें जीवन को सुखी बनाने के सूत्र छिपे हैं –
विष्णु प्रिय: चालीसा में कहा गया है- “भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई”। यानी तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।
औषधीय गुण: “औषधि रूप आप हो माता” – यह पंक्ति बताती है कि तुलसी न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक रूप से भी रोगों को दूर करने वाली है।
मनोकामना पूर्ति: कुंवारी कन्याओं द्वारा तुलसी पूजन करने से उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और घर में सुख-संपत्ति आती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: क्या तुलसी चालीसा का पाठ रोज कर सकते हैं?
उत्तर: जी हां, आप रोजाना तुलसी चालीसा का पाठ कर सकते हैं। यह बहुत शुभ होता है।
प्रश्न 2: तुलसी का पत्ता किस दिन नहीं तोड़ना चाहिए?
उत्तर: शास्त्रों के अनुसार रविवार, एकादशी और सूर्य/चंद्र ग्रहण के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
प्रश्न 3: तुलसी चालीसा पढ़ने का सबसे अच्छा समय क्या है?
उत्तर: सुबह स्नान के बाद या शाम को सूर्यास्त के समय (गोधूलि बेला) दीपक जलाकर पाठ करना सर्वोत्तम है।





