मोबाइल यूजर्स के लिए बुरी खबर ये… एप आपका बैंक खाता कर देता है खाली हो जाइए सावधान…

डाउनलोड कीजिए फ्री एप और पाइए खाते में 500 रुपये और भी बहुत कुछ।’ आपके फेसबुक, वाट्सएप पर ऐसे संदेश अकसर आते होंगे। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो लालच में आकर इन लिंक पर क्लिक करते हैं और यहीं से होती है साइबर ठगी की शुरुआत। इस तरह के लिंक के माध्यम से ही हैकर्स के पास आपके मोबाइल फोन का पूरा डाटा चला जाता है और वे आसानी से न सिर्फ आपके फेसबुक व वाट्सएप अकाउंट को हैक कर लेते हैं, बल्कि बैंक खाते को साफ कर लेते हैं।

फ्री और फर्जी एप के सहारे बिछाते हैं अपना जाल

साइबर ठगी के मामले पुलिस के पास बहुत अधिक पहुंच रहे हैं। पिछले एक माह के दौरान फेसबुक आइडी हैक करने के 10 मामले पुलिस के पास आ चुके हैं, यहां तक की बावल एसडीएम भी अकाउंट हैकिंग का शिकार हो चुके हैं। फेसबुक अकाउंट हैक होने के साथ ही बैंक खातों में से नकदी निकलने के भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन ही खाते से नकदी साफ कर ली जाती है और उपभोक्ता को इसकी जानकारी तक नहीं होती। दो दिन पूर्व ही जनसंपर्क विभाग के पूर्व सहायक निदेशक सतीश जोशी के खाते से इसी तरह 80 हजार रुपये निकाल लिए गए थे।

हैरान करने वाले इन मामलों की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने जांच शुरू की तो सामने आया कि लोगों के मोबाइल से उनके डाटा चोरी करके इस तरह की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। यह जाल बिहार व झारखंड राज्यों से चल रहा है। हैकर्स का सबसे बड़ा हथियार फ्री व फर्जी एप है। हैकर्स मोबाइल पर फ्री व फर्जी एप का जाल फेंकते हैं तथा ईनाम का लालच देते हैं। जैसे ही यूजर फ्री एप को डाउनलोड करता है तो उनके मोबाइल का पूरा डाटा हैकर्स कॉपी कर लेते हैं। ज्यादातर लोगों के मोबाइल में ही उनके एटीएम पासवर्ड, अकाउंट नंबर व अन्य जानकारियां होती हैं। इसके अतिरिक्त मोबाइल पर लोन संबंधी मैसेज भी आते रहते हैं। यहीं से डाटा चोरी करके हैकर्स ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं।

एसबीआइ बैंक की ओर से ऑनलाइन बैंकिंग के लिए योनो एप गत वर्ष लांच की गई थी। हैरान करने वाली बात यह है कि साइबर हैकर्स ने इस योनो एप का भी फर्जी वर्जन निकाल दिया है। इन दोनों में बड़ा फर्क यह है कि असली योनो एप अधिक गिगाबाइट (जीबी) की है जबकि नकली योनो एप कम गिगाबाइट (जीबी) की है।

साइबर एक्सपर्ट सुधीर कुमार की मानें तो हैकर्स इसलिए पकड़ में नहीं आ पाते क्योंकि जिस अकाउंट में वे पैसे ट्रांसफर करते हैं वह भी फर्जी आइडी से खुला हुआ होता है। हैकर्स किसी दूसरे की आइडी से अकाउंट खुलवाते हैं और उसमें पैसे ट्रांसफर करते हैं तुरंत वहां से पैसे निकलवा लेते हैं। यह खेल बिहार व झारखंड से हो रहा तथा झारखंड के तो कई बड़े गांव इसी काम में जुटे हैं।

सुधीर कुमार की मानें तो इस तरह की ठगी से बचने के लिए आवश्यक है कि हम खुद जागरूक हों। अगर इस तरह से ठगी होती है तो 24 घंटे के अंदर-अंदर हमें साइबर पुलिस, बैंक आदि को सूचना दे देनी चाहिए। इससे ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर होने से रोका जा सकता है।

शहर के बेरली मोड़ निवासी साहिल जांगड़ा वर्तमान में तिहाड़ जेल में डॉक्टर हैं। उन्होंने ओएलएक्स की वेबसाइट पर एक सोफा सेट बिक्री के लिए विज्ञापन दिया हुआ था। एक व्यक्ति ने उनसे सोफा सेट खरीदने के लिए संपर्क किया तथा पेमेंट के लिए डॉ. साहिल जांगड़ा को एक लिंक भेजा तथा उसमें पिन नंबर आदि डालने के लिए कहा। लिंक खोलने तथा पिन नंबर डालने के बाद उनके खाते से पैसे कटने शुरू हो गए। वह कुछ समझ पाते इससे पहले ही चार बार में उनके खाते से 81 हजार 799 रुपये कट गए।

डहीना निवासी अनुज के पास 16 नवंबर को एक युवक की कॉल आई। कॉल करने वाले युवक ने बताया कि वह नारनौल से अमित बोल रहा है। अनुज के अनुसार नारनौल में रहने वाले उसके एक रिश्तेदार का नाम भी अमित है। रिश्तेदार समझ कर अनुज ने बात शुरू कर दी। कॉल करने वाले ने अनुज से बीस हजार रुपये की मदद मांगी तथा पेटीएम के जरिए पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा। युवक की ओर से अनुज को क्यूआर कोड भेजे गए जिनको स्कैन करते ही अनुज के खाते से चार बार में 1 लाख रुपये साफ हो गए।

हंसराज (डीएसपी हेडक्वार्टर) के मुताबिक, साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आपके ही मोबाइल से डाटा चोरी करके साइबर हैकर वारदातों को अंजाम देते हैं। ठगी की इन वारदातों से बचने के लिए आवश्यक है कि फ्री एप व ऑनलाइन अनावश्यक लिंक पर क्लिक न करें। साइबर ठगी की तुरंत शिकायत दें ताकि समय रहते पैसों को ट्रांसफर होने से रोका जा सके।

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