मोदी सरकार का बड़ा खुलासा, दो सालों में इतने हजार मुस्लिमों को भी दी नागरिकता
चेन्नई। देश के कुछ हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि साल 2016 से 2018 के बीच भारत ने करीब दो हज़ार मुसलमानों को नागरिकता दी। चेन्नई में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से साफ है कि CAA लाने के बाद हमारे खिलाफ जो भी भेदभाव के आरोप लग रहे हैं, वो सारे गलत हैं।
मोदी सरकार में वित्त मंत्री सीतारमण के मुताबिक, भारत ने साल 2016 से 2018 के बीच अफगानिस्तान के 391 और पाकिस्तान के 1595 मुसलमानों को नागरिकता दी गई। इसमें अदनान सामी और तसलीमा नसरीन जैसे लोग भी शामिल हैं।
सीतारमण ने नागरिकता को लेकर कई आंकड़े सामने रखे। उन्होंने कहा कि पिछले 6 साल में हज़ारों शरणार्थियों को नागरिकता दी गई, जिसमें पाकिस्तान के 2838, अफगानिस्तान के 914, बांग्लादेश के 172 शरणार्थी शामिल है। इसमें कई मुसलमान भी शामिल हैं। इसके अलावा भारत ने 1964 से 2008 के बीच 4 लाख तमिल शरणार्थियों को भी नागरिकता दी।
उन्होंने कहा कि इस कानून का मकसद लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। सीतारमण ने कहा कि सरकार किसी भी व्यक्ति की नागरिकता छीन नहीं रही है, बल्कि नागरिकता देने के लिए ये कानून लागाया गया है।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ये साबित करने की चुनौती दी कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) किसी भी भारतीय मुस्लिम की नागरिकता छीन लेगा। साथ ही उन्होंने गांधी को ये कानून पूरा पढ़ने की सलाह भी दी। सीएए का विरोध कर रहे लोगों को ‘दलित विरोधी’ करार देते हुए शाह ने कांग्रेस पर धर्म के आधार पर देश को बांटने और अल्पसंख्यक समुदाय में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का विरोध करने के लिए कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि राहुल गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दोनों ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे और अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त करने के साथ ही कहा है कि सीएए लागू नहीं किया जाना चाहिए।