मोदी नाम की सुनामी इतनी तेज कि साफ हो गए क्षत्रप, बुआ-बबुआ की उखाड़ी जड़ें….
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों की तस्वीर अब लगभग साफ हो गई है. एक बार फिर नरेंद्र मोदी प्रचंड बहुमत के साथ देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. मोदी नाम की सुनामी इतनी तेज है कि देश के कई हिस्सों में भारतीय जनता पार्टी ने क्लीन स्वीप कर दिया है. चोट भले ही कांग्रेस को पहुंची है, लेकिन इस सुनामी में सबसे ज्यादा दर्द क्षत्रपों को हुआ है. क्योंकि बीजेपी ने इस बार वहां वार किया है, जहां टीएमसी, बीजेडी, एनसीपी, सपा, बसपा मजबूत थे और मोदी नाम की आंधी ने इनके किले को ढेर कर दिया है.
पहली बार दीदी के घर में घुसपैठ
अमित शाह ने वादा किया था कि इस बार बीजेपी बंगाल में 23+ सीटें लाएगी. अभी तक जो रुझान/नतीजे सामने आए हैं, वो इसी की गवाही दे रहे हैं. दोपहर 12 बजे तक बंगाल की कुल 42 सीटों में से भाजपा 17 पर बढ़त बनाए हुए है और टीएमसी 24 सीटों पर आगे है. 2014 में ममता बनर्जी की पार्टी 35+ सीटों पर कब्जा जमाए हुई थी.
ना सिर्फ सीटें बल्कि वोट शेयर के मामले में भी बीजेपी ने बड़ी बढ़त बनाई है. बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच आरपार की लड़ाई हुई, हिंसा भी हुई. टीएमसी की सरकार की ओर से बीजेपी के कई नेताओं के हेलिकॉप्टर को भी रोक दिया.
नवीन बाबू के गढ़ में मोदी की सेंध
ओडिशा में एकछत्र राज चलाने वाले नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी इस बार मोदी की आंधी में साफ हो गई. 21 सीटों वाले राज्य में बीजेपी दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और सात सीटों पर आगे चल रही है. बीजेडी 14 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. ओडिशा में बीजेडी का एकछत्र राज माना जाता है, लेकिन विधानसभा में तो उनका जादू चला लेकिन लोकसभा में बीजेपी ने अपनी ताकत बढ़ाई.
दो लड़कों के बाद बुआ-बबुआ की उखाड़ी जड़ें
उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी का सामना करने के लिए बड़ी उम्मीदों के साथ मायावती और अखिलेश यादव साथ आए थे. 25 साल की दुश्मनी भुलाई, एक साथ कई सभाएं की, प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा लेकिन सबकुछ धरा का धरा रह गया. ना जाति का जोर चला, ना ही किसी और तरह की कोशिश काम आई. बीजेपी के काम आया तो सिर्फ नरेंद्र मोदी का नाम. यूपी में बीजेपी 55 सीटों पर आगे चल रही है, तो वहीं महागठबंधन सिर्फ 24 सीटों पर ही जीत हासिल करने की कगार पर है.
यानी चुनाव से पहले जो दावे किए जा रहे थे, वो पूरी तरह फेल रहे. हालांकि, बीजेपी को थोड़ा नुकसान तो हुआ है वह 73 के नंबर से 55 पर आ गई है. लेकिन जो गठबंधन दावा कर रहा था, वैसा बड़ी चोट नहीं लग पाई.
नहीं काम आया शरद पवार का दांव
विपक्षी नेताओं में शरद पवार ही ऐसे कद के नेता थे, जो अपने दांव पेच से मोदी को टक्कर दे सकते थे. लेकिन महाराष्ट्र में एनसीपी-कांग्रेस की जोड़ी को मुंह की खानी पड़ी. कुल 48 सीटों वाले राज्य में बीजेपी-शिवसेना की जोड़ी 44 सीटें जीतती हुई दिखाई दे रही है. यानी जिन शरद पवार को प्रधानमंत्री पद की रेस में माना जाता था वो अपने ही किले को बचाने में नाकाम रहे हैं.
केजरीवाल का और भी बुरा हाल
आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव से पहले दावे कर रहे थे कि वह 7 सीटों पर जीतने वाले हैं. उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कही थी, लेकिन वो नहीं हो सका. सात सीटों पर अभी तक जो रुझान आए हैं, उनमें ‘आप’ तीसरे नंबर पर दिख रही है. एक तरफ से अरविंद केजरीवाल, दिल्ली-पंजाब-हरियाणा-गोवा में गठबंधन की बात कर रहे थे और जब नतीजे सामने आए तो सारे अरमान धुल गए.
बिहार में बहार है!
बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद यानी लालू यादव की पार्टी का मोदी की सुनामी में कुछ पता ही नहीं चला. चुनाव से पहले राजद ने एनडीए के ही कुछ दलों को तोड़ और कांग्रेस को साथ लाकर, महागठबंधन बनाया. पांच पार्टियों वाला ये गठबंधन, 40 में से सिर्फ 2 सीट पर लटकता दिखाई दे रहा है. जो तेजस्वी यादव लगातार लालू यादव के नाम पर वोट मांग रहे थे, लेकिन पूरा खेल ही पलट गया. एक तरफ से पहले ही उनकी पार्टी में रार चल रही थी, उनके भाई तेज प्रताप यादव लगातार धमकियां दे रहे थे. लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों की बिजली अब उनपर कहर बनकर टूटी है.