नोटबंदी के अलावा मोदी के ये पांच अहम फैसले जो बदल देंगे देश की तस्वीर

नोटबंदी के अलावा मोदी के ये पांच अहम फैसले जो बदल देंगे देश की तस्वीर…. पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में कई फैसले लिए हैं. लेकिन साल के आखिर में लिया गया नोट बैन का फैसला विवादों में बना हुआ. नोट बैन की वजह से मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. मोदी सरकार के अनुसार इस साल उनके लिए फैसले देश की तस्वीर बदलने में मदद करेंगे. जानिए नोट बैन के अलावा मोदी के टॉप पांच फैसले-

नोटबंदी के अलावा मोदी के ये पांच अहम फैसले जो बदल देंगे देश की तस्वीर

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पीएम नरेंद्र मोदी के पांच अहम फैसले

स्वच्छ भारत अभियान– साल 2013 में मोदी ने कहा था कि देश को “देवालय से ज्यादा शौचालय की जरूरत है”. इस बयान पर काफी बवाल मचा था. मोदी ने पीएम बनने के बाद 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान का शुभारम्भ किया. मोदी के इस फैसले को आम लोगों के अलावा बॉलीवुड हस्तियों ने भी सपोर्ट किया. इस अभियान के अंतर्गत साल 2019 तक देश में 11 करोड़ नए शौचालय बनाने का लक्ष्य है. पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत देश में 2.8 करोड़ शौचालयों का निर्माण चालू है. वर्ष 2016-17 में अब तक 1.04 करोड़ शौचालयों का निर्माण हो चुका है. चालू वित्त वर्ष में कुल 1,26,62,724 शौचालय बनाए जाने हैं. वित्त वर्ष 2014-15 में 58,17,442, वित्त वर्ष 2013-14 में  49,76,294 और वित्त वर्ष 2012-13 में 45,59,162 शौचालयों का निर्माण हुआ था.

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2022 तक सभी के लिए आवास – नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने जून 2015 में “2022 तक सभी के लिए आवास” योजना शुरू करने की मंजूरी दी. इस योजना के तहत झुग्गियों को खत्म करना और लोगों को कम कीमत पर घर दिलाना है. केपीएमजी एलएलपी की रिपोर्ट के अनुसार, मोदी के सपने को साकार करने के लिए शहरी और ग्रामीण इलाकों में 11 करोड़ घर बनाने पड़ेंगे. इन घरों पर करीब दो हजार अरब डॉलर का खर्च होगा. भारत सरकार को आवास योजना पर 2022 तक हर साल 250-260 अरब डॉलर खर्च करने होंगे. आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय के अनुसार, इस योजना के तहत साल 27 अक्टूबर 2016 तक 14,511 घरों का निर्माण पूरा हो गया है. 144,321 घरों का काम चल रहा है. 434,723 घरों का निर्माण कार्य अभी शुरू होना बाकी है.

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डिजिटल इंडिया– मोदी सरकार ने तकनीकी को अपना हथियार बनाया. चुनाव प्रचार के दौरान भी लोगों तक पहुंचने के लिए तकनीक का सहारा लिया. मोदी सरकार विभिन्न केंद्रीय योजनाओं तक पहुंच से लेकर कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए को बढ़ावा दे रही है. दूरसंचार क्षेत्र की नियामक संस्था ट्राई के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति 100 व्यक्ति फोन की संख्या 2014 के 75.23 से बढ़कर 2015 में 79.38 हो गई थी. शहर की तुलना में गावों में फोन का इस्तेमाल ज्यादा बढ़ा है. ग्रामीण इलाकों में फोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या साल 2014 के 37.17 करोड़ से बढ़कर 2015 में 41.48 करोड़ हो गई.

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भ्रष्टाचार से मुकाबला– लोकसभा चुनाव प्रचार के समय मोदी ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था और सरकार बनते ही इसे खत्म करने का आश्वासन दिया था. देश से भ्रष्टाचार और कालाधन खत्म करने की कोशिश में 500 और 1000 के नोट बैन का फैसला लिया. अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (सीपीआई) ने साल 2015 में भारत को 168 देशों में 76वें स्थान पर रखा था. भ्रष्टाचार के मामले में इस संस्था ने भारत को 100 में 38 अंक दिए गए थे.

पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर– पीएम मोदी ने अगस्त 2015 में एक कार्यक्रम में कहा था, “हमें यह कड़वी सच्चाई स्वीकार करनी होगी कि दुनिया में हर साल 2,89,000 माताओं और पांच साल से कम उम्र के 63 लाख बच्चों की मौत हो जाती है.” देश में साल 2015 में 12 लाख बच्चों का पांच से कम उम्र में मौत हुई थी. ये संख्या पूरी दुनिया में पिछले साल मृत्यु के मुंह में चले गए 59 लाख बच्चों का करीब 20 प्रतिशत है. पीएम मोदी ने माताओं और बच्चों की मृत्यु दर कम करने का बीड़ा उठाया और एक अहम फैसला किया. इस मामले में नाइजीरिया के बाद भारत दूसरे स्थान पर था. भारत में साल 2015 में पांच साल से कम उम्र के प्रति 100 बच्चों की मृत्यु दर 48 थी, जबकि ये दर 2013 में 49 थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु की दर में साल 2014 में 5.4 प्रतिशत का और साल 2015 में 4.7 प्रतिशत का सुधार हुआ था.

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