मुसोलिनी की जिद और एक ऐतिहासिक गलती ने झुका दी थी पीसा की मीनार

इटली के पीसा की मीनार (Tower of Pisa) के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह मीनार अपने झुकाव के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। दुनियाभर से पर्यटक इस मीनार को देखने आते हैं और इसके साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मीनार के झुकाव के पीछे इटली के शासक मुसोलिनी के जिद की कहानी छिपी है? आइए जानें इस बारे में।

इटली के पीसा शहर में स्थित पीसा की मीनार (Leaning Tower of Pisa) दुनिया भर में अपने झुकाव के लिए जाना है। एक ओर झुकी होने के बावजूद यह मीनार सालों से खड़ी है, जिसे देखने दुनियाभर से लोग आते हैं। यह मीनार न सिर्फ आर्किटेक्चर का अनोखा नमूना है, बल्कि इसके पीछे एक दिलचस्प इतिहास भी छुपा है।

क्या आप जानते हैं कि इसके झुकाव का एक कारण इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की जिद भी थी? आइए जानते हैं कि कैसे इस मीनार का निर्माण हुआ और कैसे मुसोलिनी की गलती ने इसे और झुका दिया।

निर्माण और शुरुआती झुकाव
पीसा की मीनार का निर्माण 1173 में शुरू हुआ था। इसे बोनानो पिसानो ने डिजाइन किया था, और यह पीसा के कैथेड्रल के घंटाघर के रूप में बनाई जा रही थी। लेकिन जैसे ही निर्माण तीसरी मंजिल तक पहुंचा, मीनार झुकने लगी। इसका कारण था नरम और अस्थिर मिट्टी का होना, जिसने नींव को कमजोर कर दिया। इस वजह से 1178 में निर्माण कार्य रोक दिया गया।

हालांकि, लगभग 100 साल बाद, 1272 में इसका निर्माण फिर से शुरू हुआ। इंजीनियरों ने मीनार को सीधा करने की कोशिश की, लेकिन यह और झुकती चली गई। अंंत में 1370 में मीनार का निर्माण पूरा हुआ, लेकिन तब तक यह 1.6 डिग्री तक झुक चुकी थी।

इसके बाद साल 1838 में आर्किटेक्ट अलेसांद्रो डेला घेरार्देस्का ने पीसा की मीनार के चारों ओर से मिट्टी हटवाने के काम शुरू किया, जिसके कारण इसका झुकाव और ज्यादा बढ़ गया।

मुसोलिनी की जिद और मीनार का बढ़ता झुकाव
1930 के दशक में इटली के फासीवादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने पीसा की मीनार को सीधा करने का फैसला किया। उन्हें लगा कि एक झुकी हुई मीनार इटली की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। उनके आदेश पर इंजीनियरों ने मीनार की नींव में कंक्रीट भरने का काम शुरू किया, लेकिन यह पीसा की मीनार के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई।

कंक्रीट भरने की वजह से मीनार की नींव और कमजोर हो गई। दरअसल, कंक्रीट डालने से मिट्टी पर दबाव बढ़ गया, जिससे मीनार का झुकाव और बढ़ गया! इस तरह यह कोशिश भी विफल रही और मुसोलिनी की यह जिद पीसा की मीनार के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई।

आधुनिक समय में बचाव की कोशिश
20वीं सदी के अंत तक मीनार का झुकाव खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। इसलिए साल 1990 में इसे सार्वजनिक पर्यटन के लिए बंद कर दिया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि मीनार हर साल 2 मिमी और झुक रही थी और अगर इसे बचाने की कोशिश न की जाए, तो यह गिर सकती थी।

इस मीनार को बचाने के लिए साल 1999 में इंजीनियरों ने एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने मीनार के झुकाव की उल्टी दिशा में जमीन से मिट्टी हटाई। इस कोशिश से गारंटी मिली है कि 300 सालों तक मीनार नहीं गिरेगा, लेकिन फिर भी इस पर निगारानी जारी है। इसके बाद 2001 में मीनार को फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button