मुंबई के कारोबारी को रातभर ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा, 53 लाख रुपये की ठगी

दक्षिण मुंबई के एक व्यापारी को साइबर ठगों ने एक रात तक ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ में रखा और खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों का वरिष्ठ अधिकारी बताकर उससे 53 लाख रुपये की ठगी कर ली। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि ठगों ने व्यापारी पर धन शोधन के मामले में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया और उसे पूरी रात वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि अगले दिन उसकी ‘ऑनलाइन जमानत सुनवाई’ होगी और सुप्रीम कोर्ट के नाम से एक फर्जी नोटिस भी भेजा गया।
‘डिजिटल गिरफ्तारी’ साइबर अपराध का एक नया तरीका है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी एजेंसियों या कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं। वे ऑडियो या वीडियो कॉल के जरिये पीड़ित को धमकाते हैं, मानसिक रूप से बंधक बना लेते हैं और पैसे देने का दबाव डालते हैं।
पुलिस के मुताबिक, यह व्यापारी मुंबई के अग्रिपाड़ा इलाके का रहने वाला है। उसे दो नवंबर को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को ‘राजीव सिन्हा’ बताया, जो भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (टीआरएआ) का अधिकारी होने का दावा कर रहा था। उसने व्यापारी से कहा कि उसके नाम से जारी सिम कार्ड का इस्तेमाल धोखाधड़ी में हुआ है और उसे दो घंटे में दिल्ली पुलिस के सामने पेश होना होगा।
जब व्यापारी ने दिल्ली आने में असमर्थता जताई, तो कॉलर ने कहा कि उसके खिलाफ दिल्ली में मामला दर्ज है और जल्द ही दिल्ली पुलिस उससे संपर्क करेगी। इसके बाद व्यापारी को एक वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी ‘विजय खन्ना’ बताया। उसने कहा कि व्यापारी का नाम एक धनशोधन मामले में आया है और उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल दिल्ली के दरियागंज इलाके में एक सरकारी बैंक में खाता खोलने के लिए किया गया है।
ठगों ने व्यापारी को कई घंटों तक डराया-धमकाया। कॉल को लगातार अलग-अलग लोगों को ट्रांसफर किया गया, जो कथित ‘भ्रष्टाचार रोधी शाखा’, ‘जांच विभाग’ और ‘कानूनी मामलों के निदेशक’ के नाम से फर्जी नोटिस दिखाते रहे। पूरी रात यह वीडियो कॉल चलता रहा और व्यापारी से उसकी संपत्ति, बैंक बैलेंस और बचत के बारे में पूछताछ होती रही।
अगले दिन ठगों ने व्यापारी से कहा कि वह गिरफ्तारी में है और अपनी ‘ऑनलाइन जमानत सुनवाई’ तक कमरे से बाहर नहीं जा सकता। ‘सुनवाई’ के दौरान कोर्ट ने कथित तौर पर उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उसके सभी बैंक खातों को फ्रीज करने और पैसे को राष्ट्रीयकृत बैंक में ट्रांसफर करने का आदेश दिया।
इसके बाद एक ठग ने उसे सुप्रीम कोर्ट के नाम से फर्जी नोटिस भेजा और एक बैंक खाता बताया जिसमें 53 लाख रुपये जमा करने को कहा गया। व्यापारी ने डर के कारण वह रकम जमा कर दी। कुछ समय बाद जब ठगों ने और पैसे की मांग की, तो व्यापारी को शक हुआ। वह बाथरूम जाने का बहाना बनाकर कमरे से बाहर निकला और 1930 साइबर हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके पुलिस को सूचना दी। इसके बाद उसने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।





