मिशन 2019: चारमीनार के शहर में छाया गुलाबी रंग, विपक्ष नदारद

तेलंगाना की राजधानी में सभी राजनीतिक होर्डिंग, बैनर और पोस्टरों पर केवल राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की तस्वीर है और उनका चुनाव निशान कार है। उनके दल तेलंगाना राष्ट्र समिति के झंडे का रंग गुलाबी है और समर्थकों ने ऐतिहासिक चारमीनार के शहर हैदराबाद को गुलाबी रंग से पाट दिया है। मिशन 2019: चारमीनार के शहर में छाया गुलाबी रंग, विपक्ष नदारद

पहले चरण के मतदान से महज एक सप्ताह पहले तेलंगाना में टीआरएस के अलावा किसी भी अन्य दल का चुनाव प्रचार दिख ही नहीं रहा है। 
ऐसा लग रहा है कि केसीआर के अलावा कोई चुनाव लड़ ही नहीं रहा है। किसी जनसभा में उम्मीदवार के साथ केसीआर के बेटे केटी रामाराव (केटीआर) और बेटी के कविता का नाम व फोटो दिख जाता है। लेकिन सभी वोट केसीआर के नाम पर मांग रहे हैं। हर जगह नारा एक ही है- जय तेलंगाना। 

बड़ी एक सभा पिता के हवाले, मोहल्ले-मोहल्ले में घूम रहा बेटा

केसीआर खुद तो दिन में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करते हैं। लेकिन बेटा केटीआर मोहल्ले-मोहल्ले, कस्बे-कस्बे जनसभा संबोधित कर रहा है। शुक्रवार को उन्होंने सिकंदराबाद लोकसभा चुनाव क्षेत्र के सीताफल मंडी, तारनाका जैसे इलाकों में लोगों को संबोधित किया। हर जगह गुलाबी झंडे, गुलाबी टोपियां, गुलाबी स्कार्फ डाले युवक और गुलाबी साड़ियां पहने महिलाएं दो घंटे पहले से इकट्ठा हो गए। दिन का तापमान 40 डिग्री पार कर रहा है, इसलिए प्रचार केवल सुबह शाम ही हो पा रहा है। 
अंधविश्वास: वास्तु के डर से कभी सचिवालय नहीं गए मुख्यमंत्री 

केसीआर खुद प्रगति भवन नाम के महलनुमा घर में रहते हैं। इसकी तीस फीट ऊंची दीवार स्टील की बनी है। इसमें प्रवेश की अनुमति उन्हीं को है जिनसे वे खुद मिलना चाहते हैं। किसी अखबार को अभी तक इंटरव्यू नहीं दिया है। खुद अपने अखबार तेलंगाना टुडे को भी नहीं। राज्य सचिवालय में आज तक नहीं गए, क्योंकि उनका मानना है कि इसका वास्तु अनुकूल नहीं है। फिर भी लोकप्रियता ऐसी कि तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में राज्य की 119 सीटों में से 88 उनकी पार्टी ने जीती। फिर कांग्रेस और टीडीपी विधायकों ने भी पाला बदला और उनके 100 विधायक हो गए।

मुफ्त की झड़ी : मकान, इलाज, शिक्षा और 8000 रुपए प्रति एकड़ नकद

केसीआर ने 2014 के विधानसभा चुनाव में बहुमत पाया था। उसके बाद उन्होंने गरीबों के लिए दो-बेडरूम वाले मकान, मुफ्त इलाज, मुफ्त शिक्षा और किसानों को आठ हजार रुपये प्रति एकड़ की मदद (रायथू बंधु) जैसी ढेरों योजनाएं न केवल शुरू कीं बल्कि उनका लाभ जनता तक पहुंचे, यह भी सुनिश्चित किया। यही वजह थी कि अपनी लोकप्रियता को लेकर उन्हें इतना विश्वास था कि उन्होंने तय समय से पांच महीने पहले विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश कर दी। पूरा चुनाव अपनी उपलब्धियों पर लड़े। कोई नया वादा नहीं किया। न ही विरोधियों की आलोचना की। फिर भी 75 प्रतिशत सीटें जीतीं।

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