माही बांध में राजहंस का मेला, साढ़े पांच हजार से ज्यादा राजहंसों ने बढ़ाई रौनक

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में बने माही बांध का बैकवाटर इन दिनों सुंदर पक्षी राजहंस (ग्रेटर फ्लेमिंगो) की मौजूदगी से खूब सज गया है। माही बांध को बांसवाड़ा की जीवनरेखा कहा जाता है क्योंकि इससे इलाके में सिंचाई और पीने के पानी की सुविधा मिलती है। गर्मियों में यह जगह प्रवासी पक्षियों के लिए बेहद पसंदीदा बन जाती है।

जैसे ही गर्मी शुरू होती है, माही बांध के बैकवाटर इलाके में राजहंस आना शुरू हो जाते हैं। ये पक्षी ज़्यादातर दक्षिणी गुजरात से यहां आते हैं। समुद्र के आसपास की नमी और ज्यादा गर्मी से बचने के लिए वे सैकड़ों किलोमीटर उड़कर माही बांध में अपना ठिकाना बना लेते हैं।

राजस्थान के दक्षिण में, मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमा के पास बसा बांसवाड़ा जिला है। यहां बना माही बांध इन दिनों खास नज़ारा पेश कर रहा है। इसके बैकवाटर (पानी जमा होने वाला हिस्सा) में इन दिनों राजहंस यानी ग्रेटर फ्लेमिंगो पक्षी खूब दिखाई दे रहे हैं।

माही बांध को बांसवाड़ा जिले की जीवनरेखा माना जाता है क्योंकि इससे खेती के लिए पानी और पीने का पानी मिलता है। इसी वजह से यह इलाका हरा-भरा रहता है। गर्मियों के मौसम में यह जगह प्रवासी पक्षियों के लिए पसंदीदा ठिकाना बन जाती है।

जैसे ही गर्मी शुरू होती है, राजहंस पक्षी माही बांध के बैकवाटर में आना शुरू कर देते हैं। इनमें से ज़्यादातर पक्षी दक्षिणी गुजरात से यहाँ आते हैं। वे समुद्र की नमी और गर्मी से बचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर उड़कर यहाँ पहुंचते हैं और यहीं डेरा जमा लेते हैं।

Back to top button