मानव शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं ये हार्मोन्स

हार्मोन्स आपकी बॉडी में संदेशवाहक का काम करते हैं। शरीर का प्रत्येक हार्मोन शरीर के अंगों तक जरूरी सूचनायें पहुंचाता है जिससे आपके मूड, हेल्थ, वजन, पाचन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी बातें समझने में मदद मिलती है। हार्मोन्स न सिर्फ शरीर की वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं, बल्कि नर्वस सिस्टम की गतिविधियों को कंट्रोल करते हैं। स्व स्थअ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बना रहे। हार्मोन्स शरीर को ही नहीं, मस्तिष्क और भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं।

1. कार्टिसोल

कार्टिसोल एड्रेनल ग्रंथि में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। एड्रेनल में थकान कोर्टिसोल के असंतुलन के कारण होती है। एड्रेनल थकान मुख्य रूप से एक मस्तिष्क तनाव की समस्या है। इसके असंतुलन से नींद आना, चक्कर आना, नाखूनों का कमजोर होना, रक्त में सुगर की मात्रा का बढ़ना और वजन का बढ़ना जैसी समस्यायें हो सकती हैं।

2. थायरायड

आपके शरीर की हर कोशिका को ढंग से काम करने के लिए और स्वस्थ्य रखने के लिए थायराइड हार्मोन की जरूरत है। थायराइड ग्रंथि एक ऐसे हार्मोन का निर्माण करती है जो शरीर के ऊर्जा के प्रयोग की कार्यविधि को प्रभावित करता है। इसकी कमी से डिप्रेशन, मानसिक सुस्ती, कब्ज, त्वचा का रूखा होना, नींद ज्यादा आना और बालों के गिरने जैसी समस्यायें हो जाती हैं।

3. एस्ट्रोजन

एस्ट्रोजन के तीन रूप एस्ट्रोन(E1), एस्ट्राडियोल (E2) और एस्ट्रियोल(E3) का सही अनुपात महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। शोध के अनुसार एस्ट्रोजन का स्तर बिगड़ने से ह्रदय संबंधी बीमारियां और कैंसर तक हो सकता है। एस्ट्रोजन की कमी के कारण योनि में सूखापन, सेक्स के समय दर्द, मूत्राशय में संक्रमण और डिप्रेशन की समस्यायें होती हैं। इसकी अधिकता से अनिद्रा, माइग्रेन, तेजी से वजन का बढ़ना, पित्ताशय से जुड़ी समस्यायें और महिलाओं में माहवारी के समय अधिक रक्त स्त्राव की समस्यायें हो जाती है।  यह भी पढ़ें:फूड्स जो कैंसर से करेंगे फाइट

4. प्रोजेस्टेरोन

पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्वस्थ प्रोजेस्टेरोन संतुलन की जरूरत होती है। प्रोजेस्टेरोन, अतिरिक्त एस्ट्रोजन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। अच्छे प्रोजेस्टेरोन के बिना, एस्ट्रोजन हानिकारक और नियंत्रण से बाहर हो जाता है। इसकी कमी से अनिद्रा, स्तनों में दर्द, वजन बढ़ना, सिर दर्द, तनाव और बांझपन जैसी समस्यायें हो सकती हैं।

5. टेस्टोस्टेरोन

पुरुषों और महिलाओं दोनों में कम टेस्टोस्टेरोन आमतौर पर व्यवहार में देखा जा सकता है। कुछ अध्ययनों में बताया गया है कि महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन की वजह से सेक्स के प्रति अनिच्छा, हृदय रोग, और स्तन कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। एक अध्ययन के मुताबिक कम टेस्टोस्टेरोन के कारण मनुष्य मृत्यु दर में भी बढ़ोत्तरी देखी गयी है। टेस्टोस्टेरोन की अधिकता से मुँहासे,पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, चेहरे और हाथ पर अत्यधिक बाल, हाइपोग्लाइसीमिया, बालों का झड़ना, बांझपन और डिम्बग्रंथि अल्सर जैसी समस्यायें हो सकती हैं। जबकि इसकी कमी वजन बढ़ना, थकान, चिड़चिड़ापन और शीघ्रपतन जैसी समस्याओं का कारण बनती है।

6. लेप्टिन

लेप्टिन हार्मोन का उत्पादन वसा कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। लेप्टिन का एक प्रमुख काम ऊर्जा के लिए शरीर की वसा भंडार का उपयोग करने के लिए दिमाग को निर्देश देना है। इसकी कमी से दिमाग में प्रोटीन की कमी हो जाती है और नसों से जुड़े कार्यों पर भी प्रभाव पड़ता है। यह घ्रेलिन नामक भूख दिलाने वाले हार्मोन के कार्य को प्रभावित करता है जिससे आपको लगातार खाने की इच्छा होती रहती है और ज्यादा खाने की वजह से मोटे होने लगते हैं। 

7. इन्सुलिन

इन्सुलिन हार्मोन हमारे खून में ग्लूकोज के स्तर को नियमित करता है और अगर यह बनना कम हो जाता है तो इसकी कमी से हमारे खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है और यह स्थिति ही डायबिटीज पैदा करती है। जब भी हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है तो यह अग्नाशय ग्रंथि को बताता है कि वो इन्सुलिन हार्मोन को स्त्रावित करें| इन्सुलिन हार्मोन की कमी से डायबिटीज, थकान, अनिद्रा, कमजोर स्मृति और तेजी से वजन बढ़ना जैसी समस्यायें हो जाती हैं।

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