माता पिता ने बेटे को झूठ बोलकर भेजा विदेश, बोर्डिंग स्कूल में करा दिया भर्ती, लड़के ने कर दिया केस!

भारत में माता पिता का बच्चों पर ज्यादा ही हक होता है. वे बच्चों की पिटाई भी कर देते हैं. आमतौर पर बच्चों से यही उम्मीद की जाती है कि वे माता पिता की बात मानें. बच्चों को कानूनी हक कम हैं.  लेकिन पश्चिमी देशों में मामला अलग है. बच्चों के बहुत अधिकार हैं वे माता पिता के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं और पुलिस माता पिता पर कार्रवाई भी कर सकती है. क्या आपने कभी सुना है कि भारत में 15 साल से कम उम्र के बच्चे ने अपने अधिकारों को लेकर माता पिता पर मुकदमा कर दिया हो? वैसे तो ऐसा पश्चिमी देशों में भी देखने को नहीं मिलता है. लेकिन वहां संभव है. हाल ही में 14 साल के एक अंग्रेज लड़के ने अपने माता पिता के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीत ली.

बच्चे को भेज दिया घाना
माता पिता कई बार बच्चों की भलाई के लिए कड़े फैसले लेते हैं. बच्चे ऐसे में कुछ समय के लिए बुरा मानते हैं पर कानूनी लड़ाई का रास्ता अपनाना बहुत ही दुर्लभ बात है. इस बच्चे ने कानूनी रास्ता तब अपनाया जब  पहले माता पिता ने उसे किसी बहाने से घाना भेज दिया, पर फिर वापस घर लौटने से रोक दिया.

बहाना बनाना पड़ा था
14 साल के बच्चे पर कठोर फैसला लादना आसान नहीं होता है. इस उम्र में बच्चे बगावती बर्ताव दिखाने लगते हैं. माता पिता को पूरा यकीन था कि वे उसे घाना जाने के लिए मना नहीं सकते. इसलिए उन्हें लड़के से यह कहा कि उन्हें किसी बीमार रिश्तेदार से मिलवाना है. एक बार घाना पहुंचने पर लड़के दाखिला एक बोर्डिंग स्कूल में करवा दिया गया.

लड़के ने ली वकीलों की मदद
लड़के ने हर मुमकिन कोशिश की कि वह घरलौट सके, लेकिन लेकिन उसके माता-पिता ने उसे ऐसा करने से रोक दिया. तब उसने कुछ वकीलों की मदद ली और माता-पिता के खिलाफ अदालत का रुख किया. शुरुआत में लंदन के हाई कोर्ट ने माता-पिता के पक्ष में फैसला सुनाया था. उनका दावा था कि उन्होंने लड़के के हित में यह कदम उठाया था और झूठ का सहारा केवल उसके भविष्य की भलाई के लिए लिया गया था. लेकिन इसके बाद लड़के ने कोर्ट ऑफ अपील में याचिका दायर कर दी.

माता पिता की दलील
माता पिता ने दावा किया कि लड़के लंदन में रहने से उसने ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि वह स्थानीय गैंग संस्कृति अपना चुका था और उसे चाकुओं में गलत तरह की कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी हो गई थी. ऐसे में लंदन में उसका रहना ठीक नहीं था. जबकि घाना में वह जोखिम रहित और सुरक्षित रह सकता था.

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