महिलाओं की लंबी गर्दन को मानते हैं सुंदरता की निशानी, 5 साल की उम्र से ही पहनाते हैं पीतल के छल्ले

लाइफस्टाइल डेस्क. म्यांमार के लाेग खासतौर पर अपनी परंपरा और पहनावे के लिए जाने जाते हैं। यहां आने वाले सैलानियों को जो बात सबसे ज्यादा चौकाती है वो है गले में पड़ा पीतल का छल्ला। जो 5 साल की बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक के गले में देखने को मिलता है। इसका वजन 10 किलो तक होता है। जानें म्यांमार की इस परंपरा से जुड़ी 4 दिलचस्प बातें…थाई-बर्मी सीमा पर खास कायान जनजाति के लोगों में महिलाओं की लंबी गर्दन को सुंदरता की निशानी माना जाता है। यहां की महिलाएं भी गर्दन का खास ध्यान रखती हैं। इसे लंबा और आकर्षक बनाने के लिए पांच साल की उम्र से ही गर्दन में पीतल के छल्ले पहना दिए जाते हैं। जैसे-जैसे इनकी उम्र बढ़ती जाती है वैसे छल्लों की संख्या बढ़ती जाती है।यहां की महिलाअोंं के लिए यह कपड़ा और गहना दोनों ही है। वे मानती हैं इसे न पहनने पर अधूरेपन का अहसास होता है। उनका कहना है कि लंबे समय तक पहनने के बाद जब वे इसे उतारती हैं तो त्वचा का रंग काफी भद्दा दिखता है।भले ही इसे खूबसूरती का पर्याय माना जाता हो लेकिन इसके पीछे भी कई बातें कही जाती हैं। म्यांमार के कुछ लोगों का कहना है कि महिलाओं को चीतों से बचाने के लिए ऐसा किया जाता है तो कुछ का तर्क है कि ऐसा करने पर ये इनके स्थानीय देवता ड्रैगन की तरह दिखती हैं। कुछ का तो ये भी मानना है कि ऐसा करने से महिलाएं दूसरी प्रजाति के लाेगों से कम खूबसूरत लगेंगे और कोई उन्हें अपनी दासी नहीं बनाएगा।यहां के लोगों को लगता है कि ऐसा करने से गर्दन की ऊंचाई में बढ़ोतरी हो रही है जबकि ऐसा नहीं है। वैज्ञानिक तौर पर मानें तो ऐसी स्थिति में कंधों की हड्डी नीचे की ओर मुड़ने लगती है और इसका ठीक से विकास नहीं हो पाता और महिलाओं जिराफ जैसी नजर आती हैं।
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Women of the Kayan tribes wear Brass coils in Myanmar