महाराष्ट्र: हनीट्रैप में विधायकों को फंसाकर गिराई गई महाविकास अघाड़ी सरकार

सामना में दावा किया गया है कि शुरुआत में शिंदे के पास जरूरी संख्या बल की कमी थी और उस समय उनके पास केवल नौ या दस विधायकों का समर्थन था। हालांकि, गृह विभाग के लोगों और तत्कालीन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया।
शिवसेना यूबीटी ने दावा किया है कि साल 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार के विधायकों को हनी ट्रैप में फंसाकर सरकार गिराई गई। शिवसेना यूबीटी ने अपने मुखपत्र सामना में मंगलवार को ये भी दावा किया है कि विधायकों को फंसाने के लिए गुप्त कैमरों और पेगासस जैसे सिस्टम का इस्तेमाल किया गया।
‘सामना’ के संपादकीय में किया गया दावा
सामना के संपादकीय लेख में कहा गया है कि अविभाजित शिवसेना और एनसीपी के कुछ विधायकों ने केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में अपनी निष्ठा बदली। कम से कम 18 विधायकों और चार सांसदों को हनीट्रैप में फंसाया गया था, जिसके चलते ही उन्होंने अपनी छवि बचाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया था कि सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया गया था और विपक्ष के पूर्व नेता होने के नाते उनकी टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। संपादकीय के अनुसार, ‘गुप्त कैमरों और इस्राइल के पेगासस जैसे सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। अब ये साफ हो गया है कि महाविकास अघाड़ी सरकार इस हनीट्रैप की वजह से ही गिरी।’
पेगासस जैसे सिस्टम का किया गया इस्तेमाल
उल्लेखनीय है कि पेगासस एक स्पाइवेयर है, जिसे इस्राइली साइबर-आर्म्स कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है। जासूसी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। सामना में कहा गया है कि भाजपा के पास हनीट्रैप करने की एक प्रणाली थी और यहां तक कि पुलिसकर्मी भी विपक्ष की निगरानी कर रहे थे। जब शिवसेना के सांसदों और विधायकों से जुड़े हनीट्रैप के सबूतों वाली एक पेन ड्राइव एकनाथ शिंदे को सौंपी गई, तो वे सूरत, गुवाहाटी और फिर गोवा की यात्रा पर निकल गए। संपादकीय में कहा गया है कि यह सब एक सस्पेंस थ्रिलर जैसा था।
गौरतलब है कि शिवसेना में साल 2022 में टूट हो गई थी और पार्टी दो गुटों में बंट गई। एक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना यूबीटी और दूसरा गुट एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना बना। सामना में दावा किया गया है कि शुरुआत में शिंदे के पास जरूरी संख्या बल की कमी थी और उस समय उनके पास केवल नौ या दस विधायकों का समर्थन था। हालांकि, गृह विभाग के लोगों और तत्कालीन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया।
संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट, योगेश कदम और दादा भुसे, और उनके राकांपा सहयोगी माणिक कोकाटे को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। कुछ मंत्रियों को हनीट्रैप में फंसाया गया था, और उन्हें भी हटाया जाना चाहिए। सामना के अनुसार, कुछ मंत्रियों के आचरण से संकेत मिलता है कि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना है।