महाराष्ट्र: शिंदे गुट के मंत्री के बैग वाले वायरल वीडियो पर घमासान; राउत ने उठाए सवाल

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बैग वाले वायरल वीडियो को लेकर मंत्री शिरसाट पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर बैग में कपड़े थे तो दिखाएं। साथ ही उन्होंने इस मामले में सीएम फडणवीस की चुप्पी को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार चुप क्यों हैं?
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शनिवार को एक वायरल वीडियो को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सवाल खड़े किए। राउत ने कहा कि शिरसाट का दावा है कि बैग में सिर्फ कपड़े थे, लेकिन यदि ऐसा है तो बैग खोलकर दिखा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो वीडियो में है, वो सभी ने देखा। अगर कपड़े थे तो दिखाने में क्या हर्ज था?
बता दें कि ये विवाद तब शुरू हुआ है, जब हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट एक कमरे में बैठे दिख रहे हैं, उनके पास ही एक बैग रखा है। दावा किया जा रहा है कि इस बैग में नोटों की गड्डियों जैसा कुछ नजर आ रहा है।
राउत ने फडणवीस पर उठाए सवाल
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के साथ ही महाराष्ट्र की सियासत में अलग तरह की गर्माहट देखने को मिल रही है। राउत ने मुख्यमंत्री फडणवीस की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिवसेना (शिंदे गुट) ने सरकार को मजाक बना दिया है और मुख्यमंत्री इस पर चुप हैं। क्या ये सरकार को चलाने का तरीका है?
इसके साथ ही राउत ने शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ पर भी हमला बोला। हाल ही में गायकवाड़ पर मुंबई के विधायक हॉस्टल की कैंटीन के कर्मचारी के साथ मारपीट का आरोप लगा था। पुलिस ने उनके खिलाफ गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज किया है। राउत ने कहा कि यह साधारण मामला नहीं, हत्या के प्रयास जैसा है। सरकार ऐसे अपराधियों को क्यों बचा रही है?
‘शिंदे गुट दिल्ली के प्यादे’
इसके अलावा राउत ने एकनाथ शिंदे गुट पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि शिंदे गुट के साथ हमारी दुश्मनी अब ऐसी हो गई है कि आमने-सामने बैठना भी मुश्किल है। उन्होंने शिंदे गुट को दिल्ली का प्यादा और महाराष्ट्र का दुश्मन कहा।
महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक 2024 पर भी साधा निशाना
अंत में राउत ने राज्य विधान परिषद में पास हुए महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक 2024 को लोकतंत्र विरोधी करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून आदिवासी और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज दबाने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा को उन लोगों से डर लगता है जो आदिवासियों के लिए लड़ते हैं।