महाराष्ट्र: विधान परिषद में गद्दार शब्द को लेकर हंगामा…

महाराष्ट्र विधान परिषद में मराठी लोगों को आवास देने की बहस के दौरान शंभुराज देसाई और अनिल परब के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। परब ने देसाई को ‘गद्दार’ कहा, जिस पर मंत्री ने भी पलटवार किया। मामला इतना बढ़ा कि उपसभापति को कार्यवाही रोकनी पड़ी।
महाराष्ट्र की राजनीति में शिंदे और उद्धव गुट के बीच चल रही तनातनी अब विधान परिषद के अंदर भी दिखने लगी है। मुंबई में गुरुवार को राज्य विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता अनिल परब और राज्य के मंत्री शंभुराज देसाई के बीच तीखी बहस हो गई। बहस इतनी बढ़ गई कि परब ने देसाई को ‘गद्दार’ कह दिया, जिस पर मंत्री ने भी उसी लहजे में जवाब दिया और दोनों आमने-सामने आ गए।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब विधान परिषद में मराठी भाषी लोगों को मुंबई और आसपास के इलाकों में कानूनी सुरक्षा के साथ आवास देने को लेकर बहस चल रही थी। इस दौरान बीजेपी की विधान परिषद सदस्य चित्रा वाघ ने सवाल किया कि क्या महाविकास अघाड़ी सरकार ने इस विषय पर कोई कानून बनाया था। जवाब में पर्यटन मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा कि उस सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया था।
‘गद्दार’ शब्द से भड़के मंत्री, दिया खुला जवाब
शंभुराज देसाई ने खुद बताया कि उन्होंने अपने जवाब में उद्धव ठाकरे सरकार का उल्लेख किया था, जिसमें वे पहले मंत्री थे। इसी बात पर अनिल परब ने उन्हें ‘गद्दार’ कह दिया। देसाई ने भी उसी भाषा में पलटवार किया। मामला इतना बढ़ गया कि परब ने उन्हें सदन के बाहर निपटने की चेतावनी दी। इस पर देसाई ने कहा कि वह बाहर आमने-सामने होने को तैयार हैं।
उपसभापति ने रोकी कार्यवाही, केबिन में समझाइश
हंगामे को देखते हुए विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे ने सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी। उन्होंने दोनों नेताओं को अपने केबिन में बुलाकर बातचीत की। देसाई ने बताया कि उपसभापति ने सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए ‘गद्दार’ जैसे शब्दों को कार्यवाही से हटाने का फैसला लिया है। इसके बाद सदन की कार्यवाही फिर शुरू की गई।
शिवसेना में फूट के बाद से लगातार जारी है तकरार
गौरतलब है कि जून 2022 में शिवसेना में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ था, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत हुई और पार्टी दो गुटों में बंट गई। तब से लेकर अब तक उद्धव ठाकरे गुट लगातार शिंदे गुट के नेताओं को ‘गद्दार’ कहकर निशाना बना रहा है। अब यह शब्दावली विधान परिषद जैसे संवैधानिक मंच तक पहुंच गई है।