महाराष्ट्र: फर्जी सरकारी संकल्प पत्र से हुए सात करोड़ के विकास कार्य

जिस मद में संकल्प पत्र जारी किया गया, उसमें गांवों में सड़कें, नाले, कब्रिस्तान और सार्वजनिक शौचालय आदि बनाए जाते हैं। इस मद में स्थानीय विधायक की सिफारिश पर 5 लाख से 30 लाख तक के काम कराए जाते हैं।

महाराष्ट्र सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने एक फर्जी सरकारी संकल्प पत्र के मामले में जांच शुरू कर दी है। इस फर्जी सरकारी संकल्प पत्र से राज्य के अहिल्यानगर जिले में 6.94 करोड़ रुपये के विकास कार्य कराए गए। यह फर्जी संकल्प पत्र बीते साल 3 अक्तूबर को जारी किया गया था और राज्य में 15 अक्तूबर को चुनाव आचार संहिता लागू कर दी गई थी। मामले के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
फर्जी संकल्प पत्र से जो विकास कार्य किए गए, वे उस मद में किए गए, जो गांवों में आधारभूत चीजों के विकास में इस्तेमाल की जाती है। इसके तहत 45 विकास कार्य किए गए, जो अहिल्यानगर, परनेर, श्रीगोंडा और नेवासा तालुका में किए गए। एक अधिकारी ने बताया कि जब काम करने वाले ठेकेदारों ने भुगतान के लिए ग्रामीण विकास विभाग में संपर्क किया तो सरकारी संकल्प पत्र के फर्जी होने का खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि जिस तारीख में संकल्प पत्र जारी हुए, उस तारीख में विभाग की तरफ से कोई संकल्प पत्र जारी नहीं हुआ था और यह फर्जीवाड़ा निकला। इसके बाद विभागीय जांच के आदेश दिए गए।

अधिकारियों को सतर्कता बरतने के निर्देश
सरकार ने सभी जिला परिषद और पीडब्लूडी के इंजीनियर्स को सूचित किया है कि सभी सरकारी संकल्प पत्र की जांच की जाए और सभी अधिकारियों को इस तरह के मामलों में सतर्कता बरतने को कहा गया है। जिस मद में संकल्प पत्र जारी किया गया, उसमें गांवों में सड़कें, नाले, कब्रिस्तान और सार्वजनिक शौचालय आदि बनाए जाते हैं। इस मद में स्थानीय विधायक की सिफारिश पर 5 लाख से 30 लाख तक के काम कराए जाते हैं, जिनका सालाना बजट 1500-2000 करोड़ होता है।

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