महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे और भाजपा के डेरेकर ने की दोस्ताना बातचीत

महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव ठाकरे और भाजपा एमएलसी प्रवीण डेरेकर के बीच हल्के-फुल्के अंदाज में संवाद हुआ। डेरेकर ने खुद को बाल ठाकरे का सच्चा शिवसैनिक बताया, जिस पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर ईमानदारी से मराठी लोगों के लिए काम करना है तो शिवसेना में वापस लौट आओ। इस बातचीत से सियासी गलियारों में पुराने साथियों के फिर साथ आने की चर्चा तेज हो गई है।

महाराष्ट्र की राजनीति में जहां हर तरफ तल्खियां और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, वहीं विधानसभा परिसर में एक हल्का-फुल्का और दोस्ताना लम्हा देखने को मिला। सोमवार को मानसून सत्र के दौरान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे और भाजपा एमएलसी प्रवीण डेरेकर के बीच हुई बातचीत ने सभी का ध्यान खींचा। कभी शिवसेना में रहे डेरेकर ने खुद को बाल ठाकरे का ‘100 फीसदी शिवसैनिक’ बताया, जिस पर उद्धव ने उन्हें ‘वापसी’ का न्योता दे डाला।

यह मुलाकात विधानसभा भवन में उस समय हुई, जब प्रवीण डेरेकर एक समिति की रिपोर्ट उद्धव ठाकरे को सौंपने पहुंचे। रिपोर्ट आत्मपुनर्विकास परियोजना पर आधारित थी। इस दौरान बातचीत शुरू हुई और जल्द ही वह अनौपचारिक और हंसी-मजाक में बदल गई। आसपास मौजूद दलों के कार्यकर्ता भी यह दृश्य देखकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सके।

बातचीत के लिए दरवाजा खुला
उद्धव ठाकरे ने बातचीत के दौरान डेरेकर से कहा कि अगर तुम्हारे प्रयास ईमानदार हैं, तो मैं बात करने के लिए हमेशा तैयार हूं। जवाब में डेरेकर ने खुद को बाल ठाकरे का निष्ठावान शिवसैनिक बताया और कहा कि उनकी नीयत पर कोई सवाल नहीं उठा सकता।

ठाकरे ने इस मौके पर एक तीखा तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि अगर आप वाकई मराठी लोगों के हित में काम करना चाहते हैं, तो आपको फिर से शिवसेना में आना होगा। साथ ही उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से एकनाथ शिंदे गुट पर भी निशाना साधा और कहा कि उन झूठे शिवसैनिकों से कहो, वे भी ईमानदार बनें।

डेरेकर बोले- चलो फिर सब साथ आएं
उद्धव के इस तंज को डेरेकर ने भी मजाकिया अंदाज में लिया और हंसते हुए कहा कि बिल्कुल, चलो फिर सब मिलकर साथ आएं। यह सुनकर आसपास मौजूद लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ गई। बातचीत चाहे अनौपचारिक रही हो, लेकिन इसके राजनीतिक संकेत गहरे हो सकते हैं।

सियासी तनाव के बीच दोस्ताना पल
यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है, जब शिवसेना में 2022 के विभाजन के बाद से राजनीतिक तनाव बना हुआ है। भाजपा और ठाकरे गुट के बीच रिश्ते तल्ख हैं। बावजूद इसके, इस तरह की बातचीत यह दिखाती है कि राजनीतिक मतभेद के बावजूद संवाद और सौहार्द की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।

उद्धव ठाकरे और डेरेकर के बीच यह छोटी-सी बातचीत कई सियासी संकेत छोड़ गई है। क्या यह महज एक संयोग था या भविष्य के गठजोड़ की कोई झलक? यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि महाराष्ट्र की राजनीति में जहां बयानबाजी और आरोपों का जोर है, वहीं यह मुलाकात एक नई चर्चा का विषय बन गई है।

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