ममता के मंच पर लगा मोदी विरोधी नेताओ का जमघट

download (6)पश्चिम बंगाल की नवनियुक्त मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। जिस समय ममता बंगला भाषा में शपथ ले रहीं थी उस दौरान उनके पीछे देश की राजनीति के नए समीकरण तैयार हो रहे थे। ऐसे समीकरण जो केन्द्र में मोदी सरकार के विरोध का एक नया मोर्चा तैयार कर सकते हैं।
मंच पर यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मौजूद थे तो दिल्‍ली के मुख्यमंत्री और मोदी के प्रबल विरोधी अरविंद केजरीवाल भी उनकी बगल में बैठे थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मंच पर थे तो राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और मोदी के सबसे बड़े विरोधी माने जाने वाले लालू यादव भी मौजूद थे।

जम्‍मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला भी इस समारोह में मौजूद थे। हालांकि केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली और बाबुल सुप्रीयो भी शपथ ग्रहण के दौरान उपस्थित रहे, उसके बावजूद भी समारोह में मौजूद ज्यादातर चेहरे वो ही थे जिनकी पहचान देश की राजनीति में मोदी विरोधी के तौर पर है। 

यूं तो ऐसे शपथ ग्रहण समारोह में सहयोगी और विपक्षी नेताओं की उपस्थिति शिष्टाचार की परिचायक मानी जाती है और पूर्व में भी कई मंचों पर राजनीतिक दिग्गजों की भीड़ जुटती रही है। लेकिन ममता बनर्जी ने जिस तरह चुन चुन कर कुछ खास राजनीतिक शख्सियतों को निमंत्रण दिया वह नए संकेतों की ओर इशारा करता है। 

ममता के मंच पर मौजूद नेताओं के चेहरे पर गौर किया जाए तो यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि निमंत्रण उन्हीं लोगों को दिया गया जो केन्द्र में मोदी विरोध का मोर्चा संभाले रखते हैं। चाहे वो दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हों या बिहार के सीएम नीतीश कुमार। 

download (5)केजरीवाल, नीतीश, लालू और अखिलेश यादव की रही मौजूदगी

खास बात ये है कि इन चेहरों में न भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री देखने को मिले न उनके गठबंधन सरकारों के मुख्यमंत्री। यहां तक की शिवसेना जैसे दलों को भी इससे दूर ही रखा गया। 

हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद ममता बनर्जी ने केंद्र के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की बात कही थी लेकिन यह भी किसी से नहीं छुपा है कि केंद्र से पंगा लेने में वह एक मिनट की भी देरी नहीं लगाती हैं। 

ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर उनकी केंद्र से कभी नहीं बनती। उन्हीं के समकक्ष बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मोदी विरोध का झंडा बुलंद किए हुए हैं। हालांकि इसके पीछे नीतीगत विरोध कम नीतीश की तीसरे मोर्चे के प्रधानमंत्री का चेहरा बनने की महत्वाकांक्षा को ज्यादा माना जाता है। 

कुछ ऐसी ही इच्छा पाले बैठे हैं दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल। उन्होंने भी अपनी पहचान प्रधानमंत्री मोदी के स्वभाविक विरोधी के तौर पर बनाई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बारे में तो सर्वविदित है कि मोदी का जितना विरोध वो करते हैं इतना शायद ही कोई दूसरा नेता करता हो। 

वहीं यूपी में मुख्यमंत्री होने के कारण अखिलेश यादव भी अगले विधानसभा चुनावों में अपनी लड़ाई भाजपा से ही मानते हैं ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही हैं। रिश्तों की इस जुगलबंदी से मोदी विरोध का नया मोर्चा अपना वजूद तैयार करता दिख रहा है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button