मध्य प्रदेश: सीहोर के आकाश माथुर ने रचा इतिहास, तीन माह में दो राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा

भोपाल के मायाराम सुरजन स्मृति भवन में आयोजित प्रतिष्ठित “शब्द उत्सव” के दौरान, सीहोर के युवा कथाकार और उपन्यासकार आकाश माथुर को वर्ष 2025 का वागीश्वरी पुरस्कार प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके बहुचर्चित उपन्यास ‘उमेदा, एक योद्धा नर्तकी’ के लिए दिया गया, जिसने पाठकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार नरेश सक्सेना, प्रज्ञा रोहिणी, गंगा शरण सिंह और हीरा लाल नागर जैसे नामचीन हस्ताक्षर उपस्थित रहे।
‘उमेदा’ भूले इतिहास को जीवंत करती रचना
आकाश माथुर के उपन्यास ‘उमेदा एक योद्धा नर्तकी’ में इतिहास के एक भुला दिए गए अध्याय को कलम के जरिए पुनर्जीवित किया गया है। यह कथा कुँवर चैन सिंह के साथ शहीद हुई नर्तकी उमेदा के जीवन पर आधारित है, जिसकी वीरता का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हुआ। लेखक ने बिखरे हुए संदर्भों, मौखिक इतिहास और लोककथाओं से एक सशक्त स्त्री किरदार को जन्म दिया है,जो न केवल योद्धा है, बल्कि स्वाभिमान और त्याग की प्रतीक भी।
‘मुझे सूरज चाहिए’ को भी मिल चुका बड़ा सम्मान
ज्ञात रहे कि आकाश माथुर को उनके चौथे उपन्यास ‘मुझे सूरज चाहिए’ के लिए 15 अगस्त को दिल्ली में रामदरश मिश्र शताब्दी सम्मान प्रदान किया गया था। यह उपन्यास महिला विमर्श और आंटा-सांटा जैसी सामाजिक कुरीतियों पर तीखी चोट करता है। इसमें महिलाओं की इच्छाओं, आत्मसम्मान और समाज द्वारा बनाए गए बंधनों को साहसपूर्वक चुनौती दी गई है। यह रचना नारी संघर्ष की गाथा है,जो कहती है कि हर महिला को अपना सूरज चाहिए, अपनी रोशनी चाहिए।
पत्रकार से साहित्यकार तक का प्रेरक सफर
आकाश माथुर का साहित्यिक सफर पत्रकारिता से शुरू हुआ। 2019 में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक ‘#MeToo’ से लेखन में कदम रखा। इसके बाद ‘कोरोना काल’ (2021), ‘उमेदा: एक योद्धा नर्तकी’ (2022) और ‘मुझे सूरज चाहिए’ (2024), ‘मरिहै संसारा’ (2025) जैसी कृतियां सामने आईं। इन सबमें समाज की नब्ज़, स्त्री चेतना और मानवीय संघर्ष की गहरी समझ झलकती है। वे सिर्फ लेखक नहीं, बल्कि संपादक के रूप में भी सक्रिय हैं, उनके संपादन में अब तक 35 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।
समाज से संवाद करती रचनाएं
आकाश माथुर की लेखनी का सबसे बड़ा आकर्षण उसका संवेदनशील यथार्थ है। ‘उमेदा’ जहां परंपरागत नारी की शक्ति को पुनर्परिभाषित करती है, वहीं ‘मुझे सूरज चाहिए’ आधुनिक समाज की चुप्पी को तोड़ती है। उनकी कहानियां स्त्री-पुरुष समानता, सामाजिक पाखंड और मनुष्यता की पुकार हैं। वे कहते हैं, “मेरे लिए लेखन मनोरंजन नहीं, बदलाव का माध्यम है। अगर एक भी पाठक सोचने पर मजबूर होता है, तो रचना सफल है।”
सीहोर की गौरवमयी उपलब्धि
आकाश माथुर की उपलब्धि न सिर्फ एक लेखक की व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि सीहोर की सांस्कृतिक धरोहर का गौरव भी है। शहर के साहित्य प्रेमियों, पत्रकारों और शिक्षकों ने इस सम्मान को “सीहोर की नई पहचान” कहा है। यह उस मिट्टी की जीत है जिसने कभी कुंवर चैन सिंह जैसे वीरों को जन्म दिया था और अब एक ऐसे लेखक को दिया है, जो शब्दों के माध्यम से इतिहास और समाज को जोड़ रहा है। उनकी यात्रा युवा पीढ़ी को यह संदेश देती है कि संवेदनशीलता, मेहनत और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता से कोई भी अपनी पहचान बना सकता है।