मध्य प्रदेश: राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट सख्त

जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष को निर्देश दिए हैं कि वे पूरे प्रदेश में राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली की व्यापक जांच कर तीन माह के भीतर रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश करें।

मप्र हाईकोर्ट ने दायर याचिका की सुनवाई करते हुए राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले में राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष को आदेशित किया है कि राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली की जांच कर तीन माह में रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश करें।

जबलपुर निवासी रवि प्रसाद और अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उनकी पैतृक संपत्ति का तहसीलदार द्वारा उन्हें जानकारी दिए बिना बंटवारा कर दिया था। तहसीलदार के मनमाने आदेश के खिलाफ एसडीएम कोर्ट में अपील दायर की गई थी। एसडीएम कोर्ट ने आवेदकों के पक्ष में अंतरिम आदेश दिया। एसडीएम द्वारा पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ अनावेदक मुरारी काछी और अन्य ने अतिरिक्त कमिश्नर अमर बहादुर के समक्ष 17 फरवरी 2025 को पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत की। अतिरिक्त आयुक्त ने याचिका की सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई 6 मार्च को निर्धारित की थी। इसके बावजूद दूसरे ही दिन यानी 18 फरवरी को रवि प्रसाद आदि को नोटिस जारी करते हुए पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान नहीं करते हुए अतिरिक्त कमिश्नर द्वारा आदेश पारित कर दिया। जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गई है।

याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त आयुक्त ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर अपनी गलती स्वीकार करते हुए बताया कि उक्त आदेश भी वापस ले लिया। उन्होंने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि अधीनस्थ अदालत का रिकॉर्ड बुलाकर नए सिरे से मामले की सुनवाई करेंगे। एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि यह लापरवाही राजस्व न्यायालयों की अनेक खामियों को उजागर करती है। विभिन्न राजस्व प्राधिकरणों के कार्यप्रणाली की व्यापक जांच की आवश्यकता है।

राजस्व परिषद के अध्यक्ष को राजस्व न्यायालयों के कार्यप्रणाली की जांच करें। विशेष रूप से रीडर आदि की लम्बी अवधि तक तैनाती के प्रभाव तथा प्रत्येक तीन वर्ष के पश्चात उन्हें समय-समय पर बदलने की व्यवहार्यता पर। इस अलावा आदेश पारित करते समय नियमों व विनियमों का पालन किया गया है या नहीं तथा ऐसी गलतियां इस संबंध में रिपोर्ट पेष करें। जांच रिपोर्ट तीन महीने में भीतर रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष प्रस्तुत की जाए तथा स्टाफिंग पैटर्न में व्यापक परिवर्तन और मामलों की सुनवाई के लिए उचित व्यापक बदलाव के लिए सुझाव भी पेश करने के निर्देश दिये।

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