मंत्री पद न मिलने से नाराज थे शत्रुघ्न सिन्हा, इसलिए छोड़ी बीजेपी

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से लगातार बागी तेवर अपनाए शत्रुघ्न सिन्हा ने आखिरकार अपनी पुरानी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है. दिल्ली में उन्हें कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं ने सदस्यता दिलाई. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर कई आरोप भी लगाए. उन्होंने इस बात के लिए भी नाराजगी जताई कि 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार बनी तो उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया.

शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बीजेपी में अरुण शौरी, मुरली मनोहर जोशी, जसवंत सिंह और यसवंत सिन्हा सरीखे कई काबिल नेताओं को मंत्री नहीं बनाया गया. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या मेरी छवि खराब थी? मेरे ऊपर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं थे. ऐसे लोगों को मंत्री बनाया गया है, जिन्हें कोई जानता तक नहीं है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार में सिर्फ पीएमओ से सारा काम होता है.

शत्रुघ्न सिन्हा ने आरोप लगाया कि सभी काबिल नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया, जिसकी आज तक एक मीटिंग नहीं हुई. साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लाल कृष्ण आडवाणी के करीबी हेने के कारण बीजेपी में उनका पत्ता काटा गया.

कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की स्थापना दिवस पर बधाई भी दी. साथ ही कहा कि पार्टी में मेरी परवरिश नानाजी देशमुख के देखरेख में हुई. मुझे अटली जी और आडवाणी जी ने मर्गदर्शन दिया. बीजेपी में शामिल होने के बाद सुबोध कांत सहाय मुझे पहली बार पब्लिक लाइफ में लेकर गए.

साथ ही बिहारी बाबू ने कहा कि मुझे कांग्रेस के नेता 25 वर्षों से कह रहे थे कि आपको कांग्रेस में शामिल होना चाहिए. बीजेपी से ट्रेनिंग लेता हुआ मैं सही मायने में लोकशाही का पालन करते हुए आगे बढ़ता गया.

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