भैया ने चित्रांगदा सिंह को दी थी सबसे कीमती चीज, हाउसफुल 5 एक्ट्रेस को याद आए बीते पल

देसी ब्वॉयज और हाउसफुल 5 फिल्मों की अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह अपने भाई दिग्विजय सिंह के काफी करीब हैं और वह उनसे मार्गदर्शन भी लेती रहती हैं । दिग्विजय गोल्फर रह चुके हैं। दोनों ही अपने-अपने कामों में व्यस्त रहते हैं।

ऐसे में कई बार ऐसे मौके भी आए हैं, जब दोनों के पास ही रक्षाबंधन पर समय नहीं होता। अगर ऐसा होता भी है तो भी वह वीडियो कॉल पर जरूर जुड़ते हैं। चित्रांगदा पहले ही उन्हें राखी कोरियर करके भेज देती हैं।

राखी के दिन बनता है फिल्म का प्लान
चित्रांगदा कहती हैं कि रक्षाबंधन पर मैं कहीं पर भी रहूं, कोशिश हमेशा यही रहती है कि घर पहुंचूं और भाई के साथ राखी मनाऊं। वो आजकल बहुत ज्यादा बिजी हो गए हैं तो कई बार हम नहीं मिल पाते हैं। मेरे चचेरे भाई तो काफी हैं। भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं इसलिए कोशिश यही रहती है कि मेरे भैया और मेरे दूसरे चचेरे भाई अगर मेरे घर पर आ जाएं तो राखी अच्छी हो जाती है। फिर हम सब साथ में लंच करते हैं, फिल्म देखने का प्लान बनता है। दिन भर साथ रहते हैं।

भाई ने जब दी थी साइकिल
इस दिन तोहफे की खास अहमियत होती है। चित्रांगदा एक खास तोहफे का जिक्र करते हुए आगे कहती हैं कि भाई से रक्षाबंधन के पैसे मिलते हैं जो भी वो अपने मन से देते हैं। मेरे भाई गोल्फर थे और उन्होंने मतलब मुझसे पहले कमाना शुरू कर दिया था। उन दिनों मैं साइकिल से स्कूल जाती थी तो उन्होंने मेरे लिए एक नई साइकिल खरीदी थी। मेरी पहली घड़ी भी मेरे भाई ने ही अपनी कमाई से मुझे गिफ्ट की थी। ये सारी चीजें मेरे लिए बहुत खास हैं।

भाई-बहन से बने दोस्त
चित्रांगदा के भाई और उनका रिश्ता दोस्ती में भी बदल चुका है। वह आगे कहती हैं कि जब मैं कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आई थी और पहली बार घर से दूर रही थी, उसके बाद हम धीरे-धीरे भाई-बहन के साथ दोस्त भी बन गए थे। जब आप घर से दूर होते हैं, तब आपको अहसास होता है कि वह रिश्ता कितना जरूरी है।

पहले हमारे बीच बहुत झगड़े होते थे, वैसे झगड़े तो अभी भी होते हैं पर जब आपको पता होता है कि यह इंसान कभी आपकी जिंदगी से नहीं जाएगा और आप उस पर भरोसा कर सकते हैं तो झगड़े ज्यादा फर्क नहीं डालते हैं।

अच्छे सलाहकार हैं भाई
चित्रांगदा अपने भाई को अपना सबसे बड़ा सपोर्ट मानती हैं। वह आगे कहती हैं कि हम एक-दूसरे के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। भाई को फर्क नहीं पड़ता कि मैं सक्सेसफुल हूं नहीं हूं। बड़ी फिल्म मिली, नहीं मिली, काम मिला, नहीं मिला। परिवार का सबसे बड़ा सपोर्ट यही है। माता-पिता के साथ तो उम्र में काफी अंतर होता है लेकिन भाई के साथ एक अलग किस्म की नजदीकी और समझ रहती है।

वह हमेशा मुझे यही कहते हैं कि जब तक कि तुम्हें अपने काम में मजा आ रहा है, तब तक करते रहो फिर सफलता ज्यादा हो या कम हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। वह खुद भी गोल्फर थे, भारत के लिए उन्होंने खेला भी है। उन्होंने अपने अनुभवों से मुझे यही बताया है कि अपने काम के प्रति जुनून, रुचि और अच्छा करने की प्रेरणा होनी चाहिए। मुझे पता है कि वह हमेशा मेरे साथ हैं।

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