भुजिया से बिस्किट तक, कम नहीं होंगे छोटे पैक वाले सामानों के दाम

बिस्किट नमकीन समेत अन्य एफएमसीजी प्रोडक्ट्स जो 5 10 और 20 रुपये वाले पैकेट में आते हैं कंपनियां उनकी कीमतें कम नहीं करना चाह रही हैं। हालांकि कंपनियों ने ग्राहकों को जीएसटी दरों का लाभ पहुंचाने का वादा किया है लेकिन दूसरे तरीके से। कंपनियां छोटे पैकेट में आने वाले सामानों की कीमतें वही रखेंगी लेकिन पैकेट का वजन बढ़ा देंगी।

जीएसटी दरों (GST Rate Cut) में बड़ी कटौती के बाद सैंकड़ों सामानों की कीमतें 23 सितंबर से सस्ती होने जा रही है। लेकिन, बिस्किट, नमकीन समेत अन्य एफएमसीजी प्रोडक्ट्स (Lower MRP Products) जो 5, 10 और 20 रुपये वाले पैकेट में आते हैं, उनकी कीमतें कम नहीं होंगी। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, एफएमसीजी कंपनियों ने टैक्स अधिकारियों से कहा कि 5 रुपये वाले बिस्कुट, 10 रुपये वाले साबुन या 20 रुपये वाले टूथपेस्ट पैक जैसे लोकप्रिय कम लागत वाले उत्पादों की कीमतें कम नहीं कर सकती हैं।

कंपनियों ने यह दलील दी है कि ग्राहक 5, 10 और 20 रुपये के पैकेट में आने वाले सामानों की इन निश्चित कीमतों के आदी हो चुके हैं, और प्राइस को 9 या 18 रुपये करने से उपभोक्ता भ्रमित हो सकते हैं और लेन-देन असुविधाजनक हो सकता है। हालांकि, कंपनियों ने ग्राहकों को जीएसटी दरों का लाभ पहुंचाने का वादा किया है लेकिन दूसरे तरीके से।

कीमत वही रहेंगी, वजन बढ़ाया जाएगा
एफएमसीजी कंपनियों ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) को बताया कि वे छोटे पैकेट में आने वाले सामानों की कीमतें वही रखेंगी, लेकिन पैकेट का वजन बढ़ा देंगी। उदाहरण के लिए, 20 रुपये वाले बिस्कुट पैकेट, जिसका वजन 100 ग्राम है तो उसे बढ़ाकर 125 ग्राम किया जा सकता है। कंपनियों की दलील है कि इस तरीके से भी ग्राहकों जीएसटी दरें कम होने का लाभ मिलेगा, क्योंकि कीमत वहीं रहेंगी लेकिन सामान की मात्रा बढ़ जाएगी।

कंपनियों के अधिकारियों ने क्या कहा?
बीकाजी फ़ूड्स के सीएफओ ऋषभ जैन ने पुष्टि की कि कंपनी अपने छोटे “इंपल्स पैक्स” का वज़न बढ़ाएगी ताकि खरीदारों को मौजूदा कीमतों में ज्यादा सामान मिले। इसी तरह, डाबर के सीईओ मोहित मल्होत्रा ​​ने बताया कि कंपनियां निश्चित रूप से जीएसटी दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएंगी।

हालांकि, वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस पर कड़ी नज़र रख रहे हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वे दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनियाँ बचत को अपनी जेब में न डालें और उपभोक्ताओं को इसका पूरा लाभ मिले।

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