भारत में फांसी के अलावा गोली मारकर भी दी जाती है सजा, ये है कानून

निर्भया के गुनहगारों को फांसी होने वाली है। पिछले कुछ सालों में जिन लोगों को फांसी दी गई है, उनमें से ये अपराधी प्रमुख हैं- धनंजय चटर्जी, अजमल कसाब, अफजल गुरू, ऑटो शंकर और याकूब मेमन। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में मृत्युदंड देने के कौन-कौन से वैध तरीके हैं। क्या भारत में सिर्फ फांसी से लटका कर दी जाती है मौत की सजा? या कोई अन्य तरीका भी है जिससे सबसे बड़ा दंड दिया जाता है।

क्या है फांसी का कानून?

द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (1898) में फांसी से लटका कर मृत्युदंड देने का प्रावधान है। यही प्रावधान कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (1973) में भी अपनाया गया।

किसने की खोज

वैसे तो फांसी का तरीका सदियों पुराना है। लेकिन आधुनिक इतिहास में फांसी के जरिए मौत की सजा देने का नया तरीका ब्रिटेन के विलियम मारवुड ने खोजा था। इन्होंने ही लीवर के जरिए फांसी पर लटकाने का तरीका निकाला।

ये है दूसरा तरीका

भारत में मौत की सजा देने का दूसरा तरीका है गोली मारने का। लेकिन यह तरीका आम नागरिकों के लिए उपयोग में नहीं लाया जाता। इसका उपयोग सिर्फ और सिर्फ भारतीय सेनाओं में होने वाले कोर्ट मार्शल के बाद होता है।

ये है सेना का कानून

द आर्मी एक्ट, द नेवी एक्ट और द एयरफोर्स एक्ट में मौत की सजा देने के लिए गोली मारने का भी प्रावधान है। एयरफोर्स एक्ट 1950 के सेक्शन 34 में प्रावधान है कि कोर्ट मार्शल के जरिए अगर किसी को मौत की सजा दी जाती है तो उसे फांसी पर लटका सकते हैं या गोली मार सकते हैं।

सेनाओं के कानून में लिखा है कि मौत की सजा देते समय कोर्ट मार्शल यह फैसला ले सकता है कि अपराधी को मरने तक फांसी से लटकाया जाए या गोली मारी जाए। यह निश्चित होना चाहिए कि दोनों ही तरीकों में अपराधी की मौत हो जाए।

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