भारत-भूटान की दोस्ती से जलता है चीन, बनाना चाहता है अब दूसरा तिब्बत

 

  • भारत और चीन के बीच जारी ताजा विवाद की जड़ डोकलाम भूटान और चीन के बीच में है. इस क्षेत्र में चीन के दखल और बार-बार गीदड़ भभकी से माना जा रहा है कि चीन भूटान को अगला तिब्बत बनाना चाहता है.

  • भारत-भूटान की दोस्ती से जलता है चीन, बनाना चाहता है दूसरा तिब्बत

    भूटान का डोकलाम इलाका सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद अहम है. अगर चीन यहां सड़क बनाने में कामयाब होता है, तो उसके लिए भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी तक पहुंच काफी आसान हो जाएगी.

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    भूटान के भारत के साथ खास रिश्ते हैं और 1949 की संधि के मुताबिक, ये विदेशी मामलों में भारत सरकार की ‘सलाह से निर्देशित’ होगा. ये संधि फिर 2007 दोहराई गई.

  • भारत-भूटान की दोस्ती से जलता है चीन, बनाना चाहता है दूसरा तिब्बत संधि के मुताबिक, भूटान के भू-भाग के मामलों को देखना भी भारत की जिम्मेदारी है. इसके अलावा नेपाल की तरह ही भूटान का भी 90 प्रतिशत से अधिक व्यापार भारत के जरिये होता है.
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    भारत द्वारा भूटान को सबसे अधिक आर्थिक सहायता दी जाती है. इसमें रोज़मर्रा की ज़रूरत की करीब-करीब हर चीज़ जैसे कपड़े, खाने-पीने की चीज़ें, निर्माण सामग्री, सूई से लेकर कार तक शामिल हैं.

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    आपको बता दें कि 2013 में भूटान आम चुनाव से पहले भारत ने गैस सब्सिडी को वापस ले लिया जिसके कारण भूटान में चुनाव प्रक्रिया की बीच अचानक आर्थिक संकट पैदा हो गया था.

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    इसके अलावा भूटान की भौगोलिक परिस्थिति भी उसे भारत के लिए बेह‍द खास बनाती है. भूटान में हाईड्रो पावर जनरेशन की बेहतरीन संभावनाए हैं. भारत भूटान की मदद से अपने बिजनी की जरूरतों को पूरा करना चाहता है.

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    यही कारण है कि वहां के हाइड्रो पावर प्रोजेक्‍ट्स में लगातार पैसा बहा रहा है. इसके अलावा भूटान के पास अपनी कोई नौसेना और वायुसेना भी नहीं है.

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    भूटान की थलसेना का नाम रॉयल भूटान आर्मी है. साल 2003 में असम के अलगाववादी संगठन उल्फा के खिलाफ रॉयल भूटान सेना ने ‘ऑपरेशन आल क्लियर’ अभियान चलाया था.

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    इस सैन्य अभियान में रॉयल भूटान सेना ने उल्फा के सारे कैंप नष्ट कर दिए थे और सभी अलगाववादियों को देश से बाहर निकाल दिया था. इसके अलावा भूटान जाने के लिए भी भारतीयों को किसी प्रकार के वीजा की जरुरत नही होती.

 

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