भारत पर नजर गड़ाए बैठे थे ट्रंप

Russia-China pipeline deal ट्रंप भारत पर टैरिफ पर टैरिफ बम (Trump Tariffs) फोड़ते रहे। दूसरी ओर उसके सबसे बड़े दुश्मन रूस और चीन ने गुपचुप तरीके से गैस पाइप लाइन की बड़ी डील कर डाली। गैजप्रोम ने मंगलवार को कहा जिससे राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पश्चिमी मांगों के प्रति उपेक्षा को रेखांकित किया गया कि वह मास्को के साथ गहरी साझेदारी से पीछे हटें।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले 2 महीनों से भारत पर ही नजरे गड़ाए बैठे हैं। वह इंडिया पर टैरिफ पर टैरिफ बम फोड़ते रहे और दूसरी ओर अमेरिका के सबसे बड़े दो दुश्मन चीन और रूस ने गैस पाइप लाइन की सबसे बड़ी डील कर डाली। यह यूरोप और अमेरिका के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं।

रूस की गैजप्रोम पीजेएससी ने कहा कि उसने मंगोलिया के रास्ते चीन तक लंबे समय से प्रतीक्षित पावर ऑफ साइबेरिया 2 गैस पाइपलाइन के निर्माण के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और अन्य मार्गों के माध्यम से आपूर्ति का विस्तार करेगी।

इन समझौतों पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की चीन यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने पिछले महीने खबर दी थी कि चीन मौजूदा पाइपलाइन के माध्यम से और अधिक रूसी गैस खरीदने की कोशिश कर रहा है।

भारत पर टैरिफ बम फोड़ते रहे गए ट्रंप
संयुक्त राज्य अमेरिका चीन को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी और रूस को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पश्चिमी देशों के उन कदमों की आलोचना की है जिनसे उन्हें लगता है कि मास्को और बीजिंग एक-दूसरे के करीब आ गए हैं। लेकिन इस खबर ने अमेरिका को गहरा घाव दिया होगा। उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 50 फीसदी का टैरिफ लगा दिया लेकिन चीन के खिलाफ वह कुछ नहीं कर पाए।

यूरोपीय गैस बाजार का एक बड़ा हिस्सा खोने के बाद से, रूस चीन की ओर मुड़ गया है। Gazprom वर्षों से पावर ऑफ साइबेरिया 2 पाइपलाइन पर एक समझौते की तलाश में है।

चीन और रूस के बीच रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा व्यापार
चीन और रूस के बीच 2021 के मुकाबले व्यापार 245 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। 2021 से यह 68 फीसदी अधिक है। गैजप्रोम के सीईओ एलेक्सी मिलर ने कहा कि गैजप्रोम और सीएनपीसी ने आपूर्ति को 33 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष से बढ़ाकर 44 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) प्रति वर्ष करने पर सहमति व्यक्त की है।

इसके अतिरिक्त, दोनों ने सुदूर पूर्वी मार्ग से गैस आपूर्ति को 10 बिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़ाकर 12 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष करने पर भी सहमति व्यक्त की है।

यह योजना न केवल रिटायर हो चुके लोगों के लिए वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगी, बल्कि दीर्घकालिक पूंजी को बाजारों में निवेश करेगी, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह निजी सेवानिवृत्ति बचत को प्रोत्साहित करके सरकारी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर बढ़ते बोझ को कम कर सकती है।

म्यूचुअल फंड महानगरों से आगे बढ़कर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुँच तेजी से बढ़ा रहे हैं, इसलिए MF-VRA जल्द ही लाखों भारतीयों के लिए सेवानिवृत्ति योजना का आधार बन सकता है।

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