भारत को लगा सबसे बड़ा झटका, 127 करोड़ देशवासी शर्मिंदा
लेकिन आर्थिक महाशक्ति का सपना पालने वाले इस देश को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है। दरअसल, देश को लेकर एक ऐसी शर्मिंदा करने वाली बात सामने आई है कि इसे सुनकर ना केवल हर देशवासी का सिर शर्म से झुक जाएगा, बल्कि वह जल्द ही इस स्थिति से निकलना भी चाहेगा।
भारत को लगा सबसे बड़ा झटका
भारत अपनी बहुलता, विशालता और भाषाई सांस्कृतिक बहुआयामिता के चलते पूरी दुनिया में विशेष माना जाता है। एशिया महाद्वीप के भीतर इसे उपमहाद्वीप कहा जाता है। दक्षिण एशिया में इस देश की अलग अहमियत है, लेकिन इस एक मामले के चलते इसकी साख कम हुई है।
जनसंख्या के लिहाजा से दुनिया का दूसरा सबसे बड़े और क्षेत्रफल के लिहाजा से दस देशों की श्रृंखला में भी अपना नाम दर्ज कराने वाले इस देश ने आजादी के पहले तो भुखमरी, बेरोजगारी, महामारी, अराजकता, अपराध और सियासी उठापटक के बीच कई उतार-चढ़ावों को देखा है।
दरअसल, बीते कुछ सालों में विकास केंद्रित राजनीति पर जोर देने वाली सरकारों ने इस देश को विकास के नाम पर केवल भ्रष्टाचार के तोहफे थमाए हैं, लेकिन लोगों को बुनियादी सुविधाओं, उनके जीवन स्तर की तरफ ध्यान नहीं दिया, यही वजह है कि यह देश आज भी कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है।
बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, महामारी, बीमारी, आतंकवाद, नक्सलवाद जैसी समस्यासओं के बीच भारत में आज भी डेंगु, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी बीमारियां एक महामारी के तौर पर हर साल हजारों लोगों को मौत की नींद सुला देती है, लेकिन भारत आर्थिक महाशक्ति के बीच इन बीमारियों से मुक्त नहीं हो पाया है।
यकीनन यह देश के लिए शर्म की बात है कि दक्षिण एशिया का छोटा सा देश श्रीलंका अब मलेरिया मुक्त हो गया है, लेकिन भारत में आज भी तेजी से मलेरिया के मामले में बढ़ते जा रहे हैं।
मलेरिया के आंकड़े देश की छवि को पूरी दुनिया के सामने जिस अंदाज में रख रहे हैं, वह 127 करोड़ भारतीयों के लिए निश्चिशत ही शर्म की बात है, क्योंकि जब एक छोटा सा देश मलेरिया से मुक्त हो सकता है, तो वहीं भारत की राजधानी दिल्ली, डेंगु के डंक से अधमरी हो रही है और देश के कई गांव मलेरिया के आगे सरेंडर की मौत को चुन रहे हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा की WHO यानी की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में श्रीलंका को मलेरिया-मुक्त देश घोषित कर दिया है, जबकि भारत ने खुदको मलेरिया से मुक्त होने के लिए अभी 10 साल का और समय लिया है, यानी की वह 2030 में मलेरिया से मुक्त होगा।
हालांकि, श्रीलंका से पहले मालदीव भी दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में पहले मलेरिया मुक्त देश बन चुका है। खास बात यह है कि कुछ दशक पहले तक श्रीलंका की गिनती सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित देशों में होती थी। लेकिन सवाल यह है कि फिर इंडिया क्या कर रहा है?
इतिहास बताता है कि लिट्टे विरोधी अभियान में श्रीलंका के 1 लाख लोगों की मौत हुई जबकि 1934-35 के बीच यानी की एक ही साल में श्रीलंका में मलेरिया से 70 हजार से ज्यादा लोगों मी मौत हो गई। यही वजह है कि लंबे समय से मलेरिया से लड़ रहे श्रीलंका ने लोग दशक के आखिरी दौर में इससे समग्रता से निबटने के लिए मलेरिया-रोधी अभियान शुरू किया गया।
वहीं, वैश्विक फलक की बात करें तो पूरी दुनिया में कई देश हैं, जो आज भी मलेरिया से प्रभावित इलाकों में रहते हैं और इनकी संख्या 100 करोड़ से भी ज्यादा है। हालांकि श्रीलंका के अलावा भी दुनिया में तकरीबन 33 देश हैं, जिन्हें WHO ने मलेरिया मुक्त कर दिया है, जबकि शर्म की बात है कि भारत इसमें कहीं नहीं है।
यकीनन पूरे देश के लिए यह बेहद शर्म का विषय है कि भारत में मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारियों में लगातार इजाफा हुआ है, जबकि उससे होने वाली मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है।
बीते कुछ सालों में मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, जीका, पीत ज्वर जैसी बीमारियां तेजी से फैली हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश यानी की गोरखपुर तो सालों से जापानी इंसेफेलाइटिस से जूझ रहा है और हर साल वहां कई बच्चे इस बीमारी से मारे जाते हैं। इसी साल इसके 688 मामले आए हैं और इसमें 113 लोगों की मौत हो चुकी है।
बात यदि पिछले साल की ही करें तो 2015 में चिकनगुनिया के तकरीबन 27 हजार से ज्यादा जबकि डेंगू के 99 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। वहीं, साल 2014 में चिकनगुनिया के 16 हजार से ज्यादा और डेंगू के तो 40 हजार से ज्यांदा मामले सामने आए।
इस साल की करें तो आंकड़े यकीनन पूरे देश को शर्मिंदा करने वाले हैं। इस साल के जुलाई माह तक मलेरिया के 4 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और इनमें 119 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि राजधानी दिल्ली इस साल डेंगु से ज्यादा चिकनगुनिया का कहर ज्यादा है और 31 अगस्त तक इसके 12 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, वहीं डेंगु के 27 हजार से ज्यादा मामले आए हैं और इससे 60 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
दक्षिण एशिया में श्रीलंका का मलेरिया मुक्त हो जाना यदि अच्छी खबर है, तो वहीं भारत के लिए यह शर्म का विषय है, क्योंकि यह देश वैश्विक पटल पर अपनी एक अलग छवि बनाने में जुटा है। यकीनन एक ओर भारत मंगलयान भेज रहा है, तो दूसरी ओर इसकी आर्थिक रफ्तार तेज हो रही है, लेकिन चंद मच्छर मिलकर इसकी रफ्तार को कम कर रहे हैं।
भारत ने बीते 60 साल की आजादी के बाद हर क्षेत्र में उपलब्धियां दर्ज की हैं, लेकिन बीमारियों और महामारियों ने इस देश की स्थिति का वाकई में बेहद शर्मसार किया है। जरा गौर करिए कि पूरे दक्षिण-एशिया में मलेरिया के 70 फीसदी मामले आ रहे हैं, तो इससे 69 फीसदी मौतें केवल भारत में हो रही हैं। आप सोच सकते हैं कि हम कहां खड़े हैं।