भारत को फाइनल में पहुंचाने के बाद जेमिमा रोड्रिग्स ने बयां की अपने मन की बात

महिला वर्ल्ड कप के दूसरे सेमीफाइनल में भारत ने सात बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बनाई। 339 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए जेमिमा रोड्रिग्स ने नाबाद 127 रन की पारी खेली। जीत के बाद वह भावुक हो गईं। उन्होंने अपने बुरे दौर को याद किया।
18 साल की उम्र में भारत के लिए डेब्यू करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। अगर राष्ट्रीय टीम के लिए खेलना एक बात है, तो टीम में अपनी जगह पक्की करने के लिए कौशल और मानसिक मजबूती बनाए रखना दूसरी बात है। जेमिमा के लिए करियर की शुरुआत आसान थी, लेकिन जब उन्हें 2022 वर्ल्ड कप टीम से बाहर कर दिया गया, तो जिंदगी मानो एक मोड़ पर आ गई।
इससे उन्हें बहुत गहरा सदमा लगा, इतना कि वह लगभग हर रात रोती थीं और दोस्तों और परिवार के सामने अपनी भावनाओं को छुपाती थीं। थोड़े समय के मानसिक स्थिति ठीक कर जेमिमा ने अपना ध्यान उस चीज पर केंद्रित किया, जिससे उन्हें सबसे ज्यादा प्यार है- और वो है क्रिकेट। उन्होंने अपने स्थानीय कोचों के साथ काम किया।
ऐतिहासिक पारी के बाद भावुक हुईं
मुंबई के मैदानों में गईं और अपनी जिद पर अड़ी रहीं। कठिन पिचों पर खेलना चाहती थीं और स्थानीय सर्किट में उपलब्ध कठिन गेंदबाजों (मेंस और विमेंस) का सामना करना चाहती थीं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में खेली नाबाद 127 रन की पारी में उनका मेहनत दिखी। मैच के बाद उन्होंने कहा कि वह अपने सफर के बारे में बात की।
हर रात रोईं जेमिमा
जेमिमा ने कहा, पिछली बार मुझे वर्ल्ड कप से बाहर कर दिया गया था। लेकिन इस बार मुझे मौका मिला। लेकिन मेरी मदद करने वाले यहां काफी लोग थे। मैं मानसिक तौर पर परेशान थी, मैं हर दिन रोई। मैंने बाइबिल का स्क्रिप्चर पढ़ा और मुझे इससे मदद मिली।
लोगों ने किया समर्थन
जेमिमा ने आगे कहा, मुझे लगता है कि मुझे बस इतना करना था कि मैं मैदान पर उतरूं और ईश्वर ने सब कुछ संभाल लिया। नवी मुंबई मेरे लिए खास है और लोग इतनी बड़ी संख्या में आए और उन्होंने हमारा इतना समर्थन किया। इसके लिए मैं सभी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहती हूं।
चैंपियन सचिन को देख जगा सपना
वह सिर्फ 10 साल की थी जब भारत ने 2011 में वर्ल्ड कप उठाया था और महान सचिन तेंदुलकर (उस समय जेमिमा का घर सचिन के घर के ठीक पीछे था) को उस रात के बाद घर लौटते देखा था। यह वह पल था जिसने जेमिमा को क्रिकेट को गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित किया और 2017 महिला वर्ल्ड कप का फाइनल उसके सपनों को हकीकत में बदलने में एक और प्रेरक कारक था।
हर क्रिकेट फैंस के जहन में छपा नाम
इस सेमीफाइनल में उनके प्रदर्शन ने ‘जेमिमा’ नाम हर क्रिकेट फैंस के दिलो दिमाग में हमेशा-हमेशा के लिए बसा दिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑस्ट्रेलियाई समर्थकों को आज जेमी और भारतीय टीम द्वारा किए शांत तरीके के प्रदर्शन को समझने में कुछ समय लगेगा।
 
 





