भाजपा विधायक ने बोले- किसान खुदखुशी नही करता, मरते वही किसान हैं जो सब्सिडी चाटने का व्यापार करते है
मध्य प्रदेश के एक भाजपा विधायक ने आत्महत्या करने वाले किसानों पर आपत्तिजनक बयान दिया है। विधायक रामेश्वर शर्मा ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मरे वो किसान हैं जो किसान कम और सब्सिडी चाटने का व्यापार ज्यादा करते हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के वीडियो के अनुसार शर्मा कहते दिख रहे हैं, ”हमने अच्छे-अच्छे पैसे वालों को मरते देखा है लेकिन असली किसान को आज भी लड़ते देखा है मरते नहीं देखा। मरे वे किसान हैं जो किसानी कम बल्कि सब्सिडी चाटने का व्यापार ज्यादा करते हैं। मरे वे लोग हैं जिन्होंने किसानी को बदनाम किया है। उन्होंने सोच लिया कि मेरी खेती है, मैं एक एकड़ जमीन पर 50 क्विंटल गेंहू उगाऊंगा। तू तो क्या भगवान भी आए तो नहीं उगा सकता भाई। हम लोग किसान हैं नहीं उगा सकते लेकिन तुम लोगों ने खेती को भी बदनाम किया है।”
बाद में मीडियाकर्मियों से बातचीत में भी शर्मा अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने बताया कि असली किसान कभी आत्महत्या नहीं करता। कुछ लोग जिन्होंने नंबर दो पैसे बनाए, कर्ज उठाया, दारू पी, इन्होंने ही बदनाम किया। वे भोपाल की हुजूर सीट से विधायक हैं। पहली बार नहीं है कि उन्होंने इस तरह का आपत्तिजनक बयान दिया है। इससे पहले भी कई बार वे अपने बयानों के चलते विवादों में रहे हैं। शर्मा पिछले दिनों नगरपालिका सीईओ को फोन पर धमकाने के चलते विवादों में थे। इससे पहले सर्जिकल स्ट्राइक के समय उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर भी विवादित टिप्पणी की थी।
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उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे जाने पर कहा था कि जो लोग सेना के जवानों पर सवाल उठा रहे हैं वे वैसे ही लोग हैं जो अपने माता-पिता के सुहागरात का वीडियो देखने के बाद ही अपनी वंशावली पर विश्वास करते हैं। भारतीय सेना देश के लिए बलिदान दे रही है और खून बहा रही है। जो लोग इसे नहीं मानते वे देशद्रोही हैं। वे सभी पाकिस्तानी एजेंट हैं। उनकी भाषा और लहजा नवाज शरीफ से मिलता है। भाजपा नेताओं की ओर से किसान विरोधी बयान पहली बार नहीं है।
बीजेपी सांसद और किसान मोर्चा के अध्यक्ष विरेंद्र सिंह ने 10 जनवरी को कहा था कि नोटबंदी से किसानों को परेशानी होने की कोई खबर नहीं आई है। लेकिन इससे शादियों में होने वाले फालतू खर्चे और शराब के इस्तेमाल में खासी कमी आई है। लोन पर पैसे लेने से फिलजूलखर्ची की आदत हो जाती है। शास्त्रों का जिक्र करते हुए विरेंद्र सिंह ने कहा, ‘शास्त्रों में आधुनिकीकरण में सब कुछ प्रयोग में लाने को कहा गया है। आप लोगों को कंजूस होने के लिए कोई नहीं कह रहा लेकिन पैसे का फिजूल खर्ची भी ठीक नहीं है।’
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आपको बता दें कि देश में किसानों की हालत काफी खराब है। इसके चलते देशभर में आत्महत्या करने वाले किसानों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा है। साल 2014 में 5650 किसानों ने सुसाइड की थी और 2015 में यह संख्या बढ़कर 8000 के पार चली गई थी। पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा किसानों ने सुसाइड की है।