भाजपा पार्षदों में गहराया टकराव, स्थायी समिति की बैठक फिर अटकी

एमसीडी में भाजपा पार्षदों के बीच जारी आपसी टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसका सीधा असर स्थायी समिति की बैठक पर पड़ रहा है। आगामी 14 नवंबर को प्रस्तावित समिति की बैठक पर असमंजस की स्थिति बन गई है क्योंकि समिति अध्यक्ष और निगम सचिव कार्यालय के बीच पिछली दो बैठकों की कार्यवाही को लेकर विवाद गहराया हुआ है। इसके पीछे समिति सदस्य भाजपा के वरिष्ठ पार्षद व प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता की भूमिका बताई जा रही है।

स्थायी समिति की अगस्त में हुई बैठक में अंडर हिल रोड स्थित प्लांट के लेआउट प्लान को मंजूरी दी गई थी लेकिन बैठक के बाद भाजपा पार्षदों ने फैसले पर आपत्ति जताई और अक्तूबर में हुई अगली बैठक में प्रस्ताव को वापस लेने की घोषणा कर दी गई। अब समिति अध्यक्ष चाहती हैं कि अगस्त और अक्तूबर दोनों बैठकों की कार्यवाही उसी क्रम में सत्यापित की जाए, जैसा वास्तव में हुआ था लेकिन समिति के सदस्य भाजपा के एक वरिष्ठ पार्षद इस पर सहमत नहीं हैं।

बताया जा रहा है कि वे कार्यवाही को अपने अनुसार बदलाव करवाने का दबाव बना रहे हैं ताकि अगस्त की बैठक में प्लान के प्रस्ताव को पास करने और वापस लेने के निर्णय को सीमित किया जा सके। इस विवाद ने निगम सचिव कार्यालय को भी असमंजस में डाल दिया है। सचिवालय बार-बार वरिष्ठ पार्षद के निर्देशों के मुताबिक कार्यवाही का मसौदा तैयार कर रहा है जबकि समिति अध्यक्ष उस मसौदे में कई बार संशोधन कर चुकी हैं।

सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष ने निगम सचिव को दो टूक कहा है कि जब तक कार्यवाही को सही रूप में नहीं लिखा जाएगा वे उस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी। इस खींचतान के कारण 14 नवंबर की स्थायी समिति की बैठक आयोजित होना मुश्किल हो गया है। अध्यक्ष ने बैठक टालने के निर्देश दे दिए हैं जबकि सचिव कार्यालय नियमों का हवाला देते हुए बैठक स्थगित करने का नोटिस तैयार कर रहा है।

उधर, बैठक का एजेंडा छप चुका है लेकिन सदस्यों के पास नहीं भेजा गया है। नियमों के अनुसार, किसी भी बैठक का एजेंडा कम से कम 72 घंटे पहले सभी सदस्यों तक पहुंच जाना चाहिए लेकिन अब यह समयसीमा समाप्त हो चुकी है जिससे प्रशासनिक तौर पर बैठक का आयोजन लगभग असंभव माना जा रहा है।

भाजपा के अंदरूनी मतभेद के कारण न केवल समिति के कामकाज पर असर पड़ रहा है बल्कि एमसीडी की कई अहम योजनाओं और प्रस्तावों पर भी रोक लग गई है। स्थायी समिति की कार्यवाही की सत्यापन प्रक्रिया में जारी यह विवाद भाजपा नेतृत्व के लिए नई चुनौती बन गया है क्योंकि यही समिति निगम की वित्तीय और विकासात्मक नीति निर्माण की रीढ़ मानी जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button