भाई और पिता ने बताया- योगी आदित्यनाथ ने इसलिए छोड़ा था घर

यूपी की कमान संभालने जा रहे योगी आदित्यनाथ मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. बचपन में उन्होंने घर छोड़ दिया और गोरखपुर मंदिर में दीक्षा ली. सीएम बनाने के ऐलान के बाद आजतक ने योगी आदित्यनाथ ऊर्फ अजय सिंह नेगी के भाई महेंद्र सिंह बिष्ट से बात की. उन्होंने कहा कि आदित्यनाथ में बचपन से सेवा भावना थी. हालांकि, उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वे सीएम पद तक पहुंचेंगे.भाई और पिता ने बताया- योगी आदित्यनाथ ने इसलिए छोड़ा था घर

महेंद्र सिंह ने कहा कि कि वह हमेशा से ही समाजसेवा की भावना थी और उसी दिशा में आगे बढ़े हैं. उनके भाई बोले कि योगी ने 1993 में गोरखपुर चले गए 21 साल में छोड़ दिया था.

योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है. योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ, उनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट हैं जो गांव में रहते हैं, योगी चार भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर के भाई हैं. उनके दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं, जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार हैं.

उनका परिवार आज भी गांव में रहता है. यूपी का सीएम बनने की खबर मिलने के बाद उनके गांव और पूरे उत्तराखंड में जबरदस्त उत्साह का माहौल है.

फोन से ख़ास बातचीत में उनके पिता आनन्द सिंह ने कहा कि बेटे की इस कामयाबी से वो बहुत खुश हैं. उनके पिता का कहना है कि यूपी में गुंडाराज खत्म होना चाहिए और सबका साथ सबका विकास होना चाहिए.

मोदी जी के कहने के मुताबिक अब यूपी में भी डबल इंजन लग गया गया है. इसके साथ ही उनके पिता ने कहा कि अब उन्हें उम्मीद है कि अब उनके गांव में मौजूद बाबा गोरखनाथ डिग्री कॉलेज का अब उद्धार हो जाएगा, वो अब सरकारी कॉलेज बन जाएगा.

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उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित में बीएससी किया. आदित्यनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ली. आज वे वो गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं. आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं, वो हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है.

योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार गोरखपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे माने जाते थे. 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने.

योगी ऐसे राजनीति में आए उनके गुरु अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई. 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने.

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