भगवान कृष्ण को क्यों कहा जाता है पूर्ण अवतार?

कृष्ण हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। कृष्ण को हिंदू धर्म में पूर्णावतार माना गया है। कृष्ण को पूर्ण अवतार कहा गया है। कृष्ण ही गुरु और सखा हैं। कृष्ण ही भगवान हैं।
कहते हैं यदि एक ही दिशा में लगातार प्रयासों में असफलता मिले तो प्रयासों की दिशा बदल देनी चाहिए। क्योंकि समस्या को हमेशा दो नजरिये से सोचना चाहिए, यानी आपके पास हमेशा दूसरी योजना होना बेहद जरूरी है। इसी बात को इंगित करती एक पौराणिक कहानी काफी प्रचलित है।
यह पौराणिक कथा श्रीमद्भागवद पुराण में उल्लेखित है। एक बार कृष्ण ग्वालों के साथ गाएं चराते हुए बहुत दूर निकल गए। रास्ते में उन्हें भूख लगी। उन्होंने देखा कि पास ही एक यज्ञ का आयोजन हो रहा है। तब उन्होंने ग्वालों से कहा, मित्र वहां से भोजन मांग कर लाओ।
ग्वालों ने कृष्ण के कहने पर वैसा ही किया लेकिन जब ग्वाले यज्ञ मंडप में भोजन मांगने गए तो ऋषियों ने मना कर दिया। उन्होंने कहा, जब तक भगवान को भोग नहीं लगाया जाएगा। भोजन किसी को नहीं मिलेगा। ग्वाले लौट आए।
कृष्ण ने उनसे पूछा, भोजन क्यों नहीं लाए? तो ग्वालों ने ब्राह्मणों की बात उनसे कह दी। कृष्ण ने कहा, अच्छा एक बार फिर जाकर मांगो शायद इस बार भोजन मिल जाए। ग्वालों ने वैसा ही किया, लेकिन फिर खाली हाथ लौट कर आना पड़ा।
इस बार कृष्ण ने कहा, इस बार मित्र आप ऋषियों की पत्नियों से से भोजन मांगने जाएं। ग्वालों ने कहा, यदि इस बार भी असफलता हाथ लगी तो। कृष्ण ने कहा, नहीं तुम मेरा नाम लेकर भोजन मांगना वो तुमको जरूर भोजन देंगी। कृष्ण की रणनीति के अनुसार यही हुआ।
हुआ यूं कि ब्राह्मण की पत्नियों से कृष्ण के लिए भोजन मांगा तो वे तत्काल उनके साथ भोजन लेकर वहां आ गईं, जहां कृष्ण ठहरे थे। सभी ने स्नेह पूर्वक भोजन किया। कहने का आशय यह कि सफलता के लिए लगातार प्रयास करते रहें, लेकिन एक ही प्रयास में बार-बार असफलता मिले तो खुद की योजना पर भी विचार करना बेहदर जरूरी है।