ब्लाइंड डेट और डेटिंग ऐप में हैं कन्फ्यूज, तो यहां जानें पार्टनर ढूंढने के लिए क्या है ज्यादा बेहतर

सही पार्टनर पाने की उम्मीद में लोग तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं जिसमें एक है डेटिंग ऐप पर अपनी प्रोफाइल बनाना। लेकिन इस तरह के ऐप से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आए हैं जो डरावने भी हैं। ऐसे में सही लाइफ पार्टनर की तलाश भला कैसे की जाए। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
एक अच्छा लाइफ पार्टनर पाने के लिए लोग ना जाने कितने घंटे डेटिंग ऐप पर बिताते हैं, लेकिन रिजल्ट कुछ भी नहीं निकलता। कुछ को तो शुरू-शुरू में कोई अपना-सा लगने भी लगता है, लेकिन बाद में पता चलता है कि उसकी पूरी प्रोफाइल ही फेक थी।
वहीं, आपने अपने आस-पास कई ऐसे कपल देखे होंगे, जो किसी फ्रेंड की पार्टी में मिले और उनका रिश्ता समय के साथ गहरा हो गया। क्या आपको भी लगता है वर्चुअल वर्ल्ड से बेहतर है किसी से आमने-सामने मुलाकात करना, जिसमें कम से कम वही इंसान होगा, जिससे आप मिलने पहुंचे हैं। यह ब्लाइंड डेट तो है लेकिन आप ब्लाइंडली किसी के साथ नहीं होंगे। आइए रिश्तों की इस खोज को थोड़ा और आगे ले चलते हैं।
ब्लाइंड डेट पूरी तरह नहीं होती है ब्लाइंड
दो लोगों की यह मुलाकात अचानक राह चलते नहीं होती, बल्कि आपका कोई दोस्त या आपका कोई करीबी तय करता है। कई बार तो आपके साथ काम करने वाले भी अपने किसी ऐसे दोस्त से आपकी मुलाकात कराते हैं, जिन्हें लगता है आप उसके लिए एक अच्छे पार्टनर हो सकते हैं। कुछ मैचमेकिंग सर्विसेज भी इस तरह के ब्लाइंड डेट प्लान करती हैं।
इस तरह ऐप से बेहतर है ब्लाइंड डेट पर जाना
डेटिंग ऐप पर काफी ज्यादा समय और कोशिश लगती है। लेकिन ब्लाइंड डेट पर आप ऐप पर घंटों वक्त बिताने की बजाय आमने-सामने एक-दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं। ऐसा करने से चुनना थोड़ा आसान हो जाता है।
ऐप पर जहां आप प्रोफाइल में उसकी लुक्स, हॉबीज को देखकर उसकी जिंदगी या उसकी पर्सनालिटी के बारे में सपने बुनने लगते हैं, वहीं डेट पर जाने पर हकीकत से आपका सामना होता है। आप आमने-सामने बातचीत से उसके बारे में बेहतर जान पाते हैं, जोकि फोन कॉल या टेक्स्टिंग से पता नहीं चलता।
ब्लाइंड डेट में आप उस इंसान के सही हाव-भाव पहचान पाते हैं कि आप उस मुलाकात के लिए जितने उत्सुक हैं क्या वो भी है। वो इस डेट को लेकर गंभीर है या फिर कैजुअल है, उससे मिलकर पता चल जाता है। इससे आपके लिए आगे का फैसला लेना आसान होता है।
आपको अपने टाइप से अलग हटकर लोगों से मिलने का मौका मिलता है। डेटिंग ऐप आपको वही प्रोफाइल फिल्टर करके दिखाते हैं जो आपकी पसंद, हॉबीज से मिलते-जुलते होते हैं। इससे आपका दायरा सीमित हो जाता है और उन लोगों से मिलने की उम्मीद कम हो जाती है, जो शायद आपके लिए ज्यादा बेहतर मैच हो सकते हैं।
इससे आप तय कर पाते हैं कि उस इंसान से आपको आगे कम्युनिकेशन रखना है या नहीं। यदि पहली बार में बातचीत थोड़ी भी अच्छी रही तो दो-चार मुलाकातों में आप उस व्यक्ति के बारे में और बेहतर फैसला ले पाते हैं।