ब्रेस्ट कैंसर की पहचान करने में एआई आधारित ऐप करेगा मदद

पश्चिम बंगाल का स्वास्थ्य विभाग महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancer) का जल्दी पता लगाने के लिए एक एआई-आधारित ऐप विकसित कर रहा है। यह ऐप आशा कार्यकर्ताओं द्वारा एकत्र किए गए डेटा और लक्षणों के आधार पर उच्च जोखिम वाली महिलाओं की पहचान करेगा। यह ऐप 5-6 महीनों में तैयार होने की उम्मीद है।
ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर में से एक है। समय पर अगर इस कैंसर का पता लगा लिया जाए, तो इलाज सफल होने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की ओर कम ध्यान देती हैं, जिसके कारण बीमारी धीरे-धीरे शरीर में बढ़ने लगती है।
लेकिन हाल ही में, बंगाल के स्वास्थ्य विभाग में इस समस्या से निपटने के लिए ऐप बना रहा है। यह ऐप एआई की मदद से ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने में मदद करेगा। आइए जानते हैं कैसे एआई की ज सकेगी स्तन के कैंसर की पहचान।
स्तन के कैंसर की पहचान करेगा एआई
बंगाल का स्वास्थ्य विभाग स्तन कैंसर की पहचान के लिए एक एआई ऐप बना रहा है। यह ऐप आशा कार्यकर्ताओं द्वारा जुटाए गए डेटा के आधार पर महिलाओं मैं कैंसर के जोखिम का पता लगाएगा। उच्च जोखिम वाली महिलाओं को आगे की जांच के लिए भेजा जाएगा। यह पहल स्तन कैंसर के शीघ्र निदान में मदद करेगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइपीजीएमईआर) को एक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी के साथ मिलकर ऐप बनाने के लिए कोष दिया गया है।
आइपीजीएमईआर के विशेषज्ञ डॉ. दिपेंद्र सरकार ने बताया कि हमने ऐप पर काम शुरू कर दिया है। यह पांच से छह महीनों में तैयार हो जाना चाहिए। इसे आशा कार्यकर्ताओं के स्मार्टफोन पर अपलोड किया जाएगा, जो पहले से ही बंगाल के हर गांव, कस्बे और शहर में पहुंच रही हैं। वे महिलाओं में लक्षणों की पहचान करेंगी। वे कुछ बुनियादी जानकारी लेंगी, जैसे कि क्या स्तन में कोई गांठ है और क्या मरीज को स्तन से स्राव हो रहा है।
यदि किसी महिला में इनमें से कोई भी या दोनों लक्षण हैं, तो उसे नजदीकी जिला या राज्य अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच के लिए भेजा जाएगा और परिणाम सिस्टम में अपलोड किया जाएगा। यह ऐप पर रियल टाइम आधार पर उपलब्ध होगा, जिससे स्वास्थ्य भवन को संदिग्ध मरीजों की एक तैयार सूची मिल सकेगी।
यह ऐप अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट का विश्लेषण करेगा और मरीजों को उच्च जोखिम और कम जोखिम श्रेणियों में बांटेगा। उच्च जोखिम वाले मरीजों को स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राफी के लिए भेजा जाएगा, जबकि कम जोखिम वाले मरीजों की निगरानी की जाएगी।