ब्रिटेन में अब चीन से सस्ती होंगी भारतीय वस्तुएं! 99% सामान पर नहीं लगेगा टैक्स

भारत और ब्रिटेन के बीच इस सप्ताह मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर होने जा रहा है। इस एफटीए के बाद भारत से निर्यात होने वाली 99 प्रतिशत वस्तुओं पर ब्रिटेन के बाजार में शुल्क नहीं लगेगा। इसका नतीजा यह होगा कि ब्रिटेन के बाजार में भारतीय वस्तुएं चीन की वस्तुओं के मुकाबले सस्ती हो जाएंगी और भारतीय वस्तुओं को तरजीह मिलेगी।

पिछले साल चीन और ब्रिटेन के बीच वस्तु और सेवा को मिलाकर 132 अरब डालर का व्यापार किया गया, जबकि भारत और ब्रिटेन के बीच इस अवधि में 58 अरब डालर का व्यापार किया गया। चीन ब्रिटेन को वस्तु और सेवा को मिलाकर कुल 92 अरब डालर का निर्यात करता है, जबकि वस्तु और सेवा को मिलाकर भारत का निर्यात ब्रिटेन में लगभग 35 अरब डालर का है।

विदेश व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटेन के साथ चीन का कोई एफटीए नहीं है और चीन के साथ ब्रिटेन का व्यापार घट रहा है। पिछले साल ब्रिटेन को होने वाले चीन के निर्यात में लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट आई है। भारत के साथ एफटीए के बाद ब्रिटेन के बाजार में टेक्सटाइल, लेदर, लेदर उत्पाद, जेम्स व ज्वेलरी, इलेक्ट्रानिक्स, इंजीनियरिंग गुड्स, केमिकल्स जैसे रोजगारपरक सेक्टर के निर्यात में बढ़ोतरी होगी।

अभी ब्रिटेन के बाजार में चीन के इलेक्ट्रानिक्स आइटम काफी अधिक बिकते हैं। भारतीय वस्तुओं पर शुल्क खत्म होने से इन सेक्टर में भारत चीन को टक्कर देगा। दूसरी तरफ ब्रिटेन की शराब, चाकलेट और कई अन्य खाद्य पदार्थ के साथ आटोमोबाइल, मेडिकल उपकरण अब मात्र 10 प्रतिशत तक के शुल्क पर भारत में आ सकेंगे।

भारत ने आटोमोबाइल सेक्टर में ब्रिटेन को दी है शुल्क में छूट
विशेषज्ञों का कहना है कि आटोमोबाइल सेक्टर में ब्रिटेन को शुल्क में छूट देने से अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भी भारत के साथ व्यापार समझौते में इस प्रकार की छूट मांगेगे। इससे भारत के आटोमोबाइल सेक्टर को कड़ा मुकाबला करना होगा।

ब्रिटेन के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर से अमेरिका को यह संदेश जाएगा कि भारत सिर्फ उसके बाजार के भरोसे नहीं है। एफटीए हस्ताक्षर के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी ब्रिटेन में मौजूद रहेंगे।

एफटीए में सर्विस सेक्टर को भी किया गया है शामिल
ब्रिटेन के साथ होने वाले एफटीए पर अमल में छह माह से अधिक का समय लग सकता है, क्योंकि मुक्त व्यापार समझौते को ब्रिटेन की संसद से मंजूरी लेना अनिवार्य है। भारत में कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही इसे अमल में लाया जा सकता है।

इस एफटीए में सर्विस सेक्टर को भी शामिल किया गया है जिसके तहत दोनों देशों के प्रोफेशनल्स को एक-दूसरे के देश में सेवा देने का आसानी से मौका मिलेगा।

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