बर्थडे स्पेशल: बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड में भी था अमरीश पुरी का खौफ , इन फिल्मो से बने अमरीशपुरी विलन

80 के दशक में जब लोग फिल्मों में सिर्फ हीरो-हीरोइन देखने जाते थे और खलनायक सिर्फ हीरो से मार खाने के लिए होता था। उस समय हिंदी सिनेमा में एक ऐसे खलनायक की एंट्री हुई जिसने फिल्मों में खलनायक की भूमिका ही बदल कर रख दिया। इस दमदार आवाज और रौबीले व्यक्तित्व वाले अभिनेता का नाम था अमरीश पुरी। जिस उम्र में कई अभिनेता सिनेमा को अलविदा कह देते हैं उसी 40 साल की उम्र में हिंदी सिनेमा में अभिनय की दुनिय में कदम रखने वाले अमरीश पुरी के लिए एक ऐसा दौर आया जब हिंदी सिनेमा की हर कॉमर्शियल फिल्म में अमरीश पुरी का होना जरूरी हो गया था। उनके जन्मदिन पर आइए जानते हैं मोगैंबो यानी की अमरीश पुरी के 15 खास किरदारों के बारे में जो उनकी संपूर्ण अभिनय यात्रा को बयां करती हैं

 

जी.डी. ठकराल
फिल्म- मेरी जंग (1985)
1985 में सुभाष घई के निर्देशन में बनी फिल्म में अमरीश पुरी द्वारा निभाया गया एडवोकेट जी.डी. ठकराल का किरदार अमरीश पुरी के सबसे उम्दा किरदारों में से एक है। फिल्मी पर्दे पर इस समय सुभाष घई और अमरीश पुरी की जोड़ी जम चुकी थी। सुभाष घई के निर्देशन में बन रही लगातार चौथी फिल्म में अमरीश पुरी काम कर रहे थे। इस फिल्म में अमरीश पुरी के साथ-साथ अनिल कपूर, मीनाक्षी शेषाद्री, नूतन, जावेद जाफरी और परीक्षित साहनी मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में अमरीश पुरी ने अनिल कपूर के साथ खूब कानूनी दांवपेंच लड़ाए। ठकराल के उम्दा अभिनय के लिए अमरीश पुरी को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का खिताब दिया गया। इसके बाद अमरीश पुरी और सुभाष घई ने कई और फिल्मों में एक साथ काम किया। अमरीश पुरी की आखिरी फिल्म कृष्णा के निर्देशक सुभाष घई ही थे।

 

भुजंग भैरो सिंह
फिल्म- त्रिदेव (1989)
सनी देओल, माधुरी दीक्षित, जैकी श्राफ, नसीरूद्दीन शाह, संगीता बिजलानी और अनुपन खेर जैसे अदाकारों से सजी फिल्म त्रिदेव में अमरीश पुरी एक बार फिर एक खतरनाक और डरावने विलेन के रूप में सामने आए। राजीव राय के निर्देशन में बनी फिल्म त्रिदेव में सारे किरदारों से अलग भैरो सिंह का किरदार अपना अंदाज था। इस फिल्म ने इस साल कुल मिलाकर तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड अपन नाम किए। अमरीश पुरी को उनके शानदार अभिनय के लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए नामित किया गया।

 

चुनिया चंद
फिल्म- सौदागर (1991)
1991 में सुभाष घई के निर्देशन में अमरीश पुरी ने एक बार फिर काम किया। उस दौर के दो सबसे बड़े अदाकारों दिलीप कुमार और राजकुमार के सामने एक प्रभावशाली विलेन बनना अमरीश पुरी के लिए बड़ी चुनौती थी, फिर भी इन सब चुनौतियों को दरकिनार कर अमरीश पुरी ने चुनिया चंद उर्फ चुनिया मामा के किरदार को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया और यह फिल्म भी सुपरहिट रही। इस फिल्म में दमदार विलेन का किरदार निभाने के लिए अमरीश पुरी को फिल्मफेयर बेस्ट विलेन के लिए नामित किया गया। इसी फिल्म से सुभाष घई को बेस्ट निर्देशक के तौर पर उनका एकमात्र फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

जरनल डांग
फिल्म- तहलका (1992)
1968 की हॉलीवुड फिल्म व्हेयर ईगल्स डेयर पर आधारित फिल्म तहलका में एक बार फिर अमरीश पुरी एक खूंखार विलेन जरनल डांग के रूप में नजर आए। अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अमरीश पुरी के साथ-साथ धर्मेंद्र, मुकेश खन्ना, आदित्य पंचोली, जावेद जाफरी और शिखा स्वरूप जैसे कई कलाकार मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में अमरीश पुरी का डायलॉग- ‘डांग कभी रॉन्ग नहीं होता’ प्रचलित हुआ और यह आज भी लोगों की पसंद बना हुआ है। सितारों से सजी यह फिल्म एक हिट फिल्म साबित हुई और 1992 की सबसे ज्यादा कमाई करने के मामले में पांचवें स्थान पर रही।

जस्टिस गोपीचंद वर्मा
फिल्म- मुस्कुराहट (1992)
अपनी रोबीली आवाज और खौफनाक आंखों से हिंदी सिनेमा में बतौर विलेन एक खास पहचान बना चुके अमरीश पुरी प्रियदर्शन के निर्देशन में बनी फिल्म मुस्कुराहट में एक अलग किरदार में नजर आएं। दक्षिण भारतीय फिल्म किलुक्कम की हिंदी रीमेक यह फिल्म प्रियदर्शन की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी। हिंदी सिनेमा में खलनायक की भूमिका निभाने वाले अमरीश पुरी के लिए एक आदर्श बाप जस्टिस गोपीचंद वर्मा की भूमिका निभाना काफी चुनौतीपूर्ण काम था, पर अमरीश पुरी कहां किसी चुनौती से डरने वाले थे। उन्होंने इस किरदार को भी बखूबी निभाया। इस फिल्म में अमरीश पुरी के साथ जय मेहता, रेवती, जगदीप और अन्नू कपूर ने मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म के बाद अमरीश पुरी को खलनायक के अलावा अन्य तरह के किरदारों का अच्छा अभिनेता माना जाने लगा।

महेसर दलाल
फिल्म- सूरज का सातवां घोड़ा (1992)
हिंदी साहित्य के जाने-माने लेखक धर्मवीर भारती की किताब सूरज का सातवां घोड़ा पैट आधारित फिल्म सूरज का सातवां घोड़ा अमरीश पुरी की बाकी कॉमर्शियल फिल्मों से हटकर एक अलग फिल्म थी, हालांकि फिल्म में अमरीश पुरी अपने जाने माने अवतार में ही दिखे। नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की बनाई गई इस फिल्म में अमरीश पुरी ने महेसर दलाल नाम के एक दलाल का किरदार निभाया। श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी इस फिल्म में रंजीत कपूर, नीना गुप्ता, अमरीश पुरी और राजेश्वरी सचदेव मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में दमदार अदाकरी के लिए अमरीश पुरी को सिडनी फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर के खिताब से नवाजा गया। इसके साथ इस फिल्म को साल 1993 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिया गया।

 

बैरिस्टर इंद्रजीत चड्ढा 
फिल्म- दामिनी (1993) 
राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी इस फिल्म को महिलाओं के मुद्दे पर आधारित अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिना जाता है। सनी देओल, ऋषि कपूर, मीनाक्षी शेषाद्री, परेश रावल और अमरीश पुरी जैसे सितारों से सजी इस फिल्म में अमरीश पुरी एक बार फिर काले कोट पहने अदालत में जिरह करते नजर आए। फिल्म में बैरिस्टर इंद्रजीत चड्ढा का किरदार काफी महत्वपूर्ण था और अमरीश पुरी ने इस किरदार को उतनी ही शिद्दत से निभाया। अमरीश पुरी के शानदार अदाकारी के कारण उन्हें 1994 के फिल्मफेयर बेस्ट विलेन के  पुरस्कार के लिए नामित किया गया। साल की बेस्ट फिल्म सहित इस फिल्म ने कुल मिलाकर 4 फिल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किए। 

 

 

हवलदार पुरूषोत्तम साठे
फिल्म- गर्दिश (1993)
अब तक खलनायक और पिता के किरदारों में ख्याति पा चुके अमरीश पुरी प्रियदर्शन के निर्देशन में बनी फिल्म गर्दिश में एक पुलिवाले हवलदार पुरुषोत्तम साठे की भूमिका में नजर आए। इस बार अमरीश पुरी एक ईमानदार पुलिवाले के साथ-साथ एक जिम्मेदार बाप की भी भूमिका में थे। फिल्म गर्दिश में अमरीश पुरी के साथ जैकी श्रॉफ, ऐश्वर्या, डिंपल कपाड़िया, राज बब्बर और फरीदा जलाल मुख्य भुमिका में थे। यह फिल्म सुपरहिट रही और एक बार फिर अमरीश पुरी फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के पुरस्कार के लिए नामित किया गया। इसके अलावा दो फिल्मफेयर अवार्ड फिल्म गर्दिश ने अपने नाम किए।

 

ठाकुर दुर्जन सिंह
फिल्म- करन अर्जुन (1995)
राकेश रोशन के निर्देशन में बनी फिल्म करन अर्जुन में हिंदी सिनेमा के दो खान शाहरुख खान और सलमान खान एक साथ नजर आए, लेकिन फिल्म की कहानी एक दमदार विलेन के बिना अधूरी थी जिसे अमरीश पुरी ने पूरा कर दिया। ठाकुर दुर्जन सिंह के किरदार में अमरीश पुरी का एक बार फिर वही दमदार आवाज और रोबीला व्यक्तित्व पर्दे पर छा गया। यह फिल्म साल 1995 की दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के बाद दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही। इस फिल्म ने दो फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और अमरीश पुरी को एक बार फिर से फिल्मफेयर बेस्ट विलन के पुरस्कार के लिए नामित किया गया। 

 

चौधरी बलदेव सिंह
फिल्म- दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
हिंदी सिनेमा की सबसे सफल और चर्चित फिल्मों में से एक दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में अमरीश पुरी ने एक सख्त और जिम्मेदार पिता चौधरी बलदेव सिंह उर्फ बाबूजी की भूमिका निभाई। शाहरुख खान, फरीदा जलाल और काजोल के साथ मिलकर अमरीश पुरी ने इस फिल्म में गजब की अदाकारी की। फिल्म में अमरीश पुरी द्वारा बोला गया डायलॉग, ‘जा सिमरन जा, जा… जी ले अपनी जिंदगी’ आज भी लोगों की जुबां पर छाए रहता है। यह फिल्म सुपरहिट रही और इस फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित 10 फिल्मफेयर पुरस्कार अपनी झोली में डाले। बेहतरीन अभिनय के लिए एक बार फिर से अमरीश पुरी को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर नामित किया गया।
  

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