बॉबी-मुस्कान और माधुरी-सरस्वती गोंडा ही दीवाना नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी इनकी काफी शोहरत….

बॉबी, मुस्कान, माधुरी, सरस्वती और मृदुला का सिर्फ गोंडा ही दीवाना नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी इनकी काफी शोहरत है। ये कोई बॉलीवुड की अभिनेत्रियां नहीं बल्कि तरबूज और खरबूजे की किस्में हैं जो गर्मी में तरावट के साथ लोगों को बेहतरीन स्वाद का लुत्फ दे रही हैं। कम लागत और बढि़या मुनाफा देने वाले ये मौसमी फल किसानों के लिए ऑफ सीजन में कमाई का जरिया साबित हो रहे हैं। जिले में उगने वाले तरबूज और खरबूजों का बाराबंकी, लखनऊ, फैजाबाद, बस्ती आदि जिलों में निर्यात किया जाता है।
रमजान के महीने में इनकी माग और भी बढ़ जाती है। इनकी कुछ खास किस्में ग्राहकों को काफी पसंद आ रही हैं। खरबूजे की बात करें तो बॉबी, मुस्कान और मृदुला अन्य किस्मों की अपेक्षा मीठे और स्वादिष्ट हैं। वहीं, माधुरी और सरस्वती तरबूज की डिमाड भी खूब है। गोंडा जिले के तरबगंज, नवाबगंज माझा क्षेत्र में घाघरा की कछार में बड़े पैमाने पर तरबूज व खरबूजे की खेती होती है। जिले के दुर्गागंज में मुख्य मार्ग के किनारे दुकान लगाने वाले अमर, राजनाथ, अशोक, गिरिजा व माधव ने बताया कि बाराबंकी में खास तौर पर उत्पादित होने वाले बॉबी खरबूजा जिसे ताइवानी भी कहा जाता है, की खासियत है कि इसे पौधे से अलग किए जाने के बाद हफ्तेभर तक रखा जा सकता है। यह मीठा भी ज्यादा होता है। इसकी कीमत भी अन्य की अपेक्षा अधिक है। इसी तरह मुस्कान कम मीठा लेकिन बड़ा होता है जबकि मृदुला में ज्यादा मिठास होती है। इसी तरह तरबूज माधुरी और सरस्वती देशी की अपेक्षा मीठे होते हैं, जिससे इसका दाम भी अधिक मिलता है।
लाखों कमा चुका यह किसान
जिले के परसदा में तैयार डार्कग्रीन नामक तरबूज की जिले के साथ ही बहराइच, बलरामपुर, अयोध्या व फैजाबाद में सबसे ज्यादा माग है। किसान पार्थ तिवारी दस दिनों के भीतर 1,240 क्विंटल तरबूज की आपूर्ति कर चुके हैं। एक एकड़ तरबूज की खेती पर 55 हजार रुपये का खर्च आता है जबकि कमाई औसतन 1.90 लाख रुपये के आसपास है। उन्होंने 14 एकड़ जमीन में तरबूज की खेती की है।
लू व डायरिया से होता बचाव
तरबूज व खरबूजे में इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो डिहाइड्रेशन में काफी फायदेमंद होते हैं। लू व उल्टी-दस्त के वक्त यह सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है। इसमें सोडियम, पोटैशियम के तत्व भी पाए जाते हैं।





