बैंक घोटाले में पांच लाख लोगों ने गवां दी थी गाढ़ी कमाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र के करनाला नगरी सहकारी बैंक घोटाले में 380 करोड़ रुपये की संपत्ति वापस दिलाई है जिससे 5 लाख जमाकर्ताओं को राहत मिलेगी। पूर्व चेयरमैन विवेकानंद शंकर पाटिल पर धोखाधड़ी का आरोप है। ईडी ने यह संपत्ति महाराष्ट्र सरकार को सौंपी है ताकि पीड़ितों में वितरित की जा सके।
महाराष्ट्र के एक बड़े बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 380 करोड़ रुपये की संपत्ति को वापस करवाने में कामयाबी हासिल की है।
यह संपत्ति अब करीब 5 लाख ठगे गए जमाकर्ताओं को लौटाई जाएगी। यह मामला पनवेल के करनाला नगरी सहकारी बैंक से जुड़ा है। इसके पूर्व चेयरमैन और चार बार के विधायक विवेकानंद शंकर पाटिल पर धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी का आरोप है।
ईडी ने बुधवार को बताया कि यह संपत्ति महाराष्ट्र सरकार के एक नामित प्राधिकरण को सौंपी गई है ताकि इसे पीड़ित जमाकर्ताओं में बांटा जा सके। पाटिल को जून 2021 में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
उनके खिलाफ पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की ओर से फरवरी 2020 में दर्ज एक FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है।
पुलिस का दावा है कि पाटिल और बैंक के अन्य अधिकारियों ने RBI के दिशानिर्देशों और बैंकिंग नियमों को ताक पर रखकर 63 फर्जी लोन खातों के जरिए 560 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
फर्जीवाड़े का खुलासा
ईडी की जांच में सामने आया कि पाटिल ने बैंक के फंड को अपनी और अपने रिश्तेदारों की नियंत्रित कंपनियों और संस्थाओं में डायवर्ट किया। इन पैसों से रायगढ़ जिले में कई अचल संपत्तियां खरीदी गईं।
ईडी ने 2021 और 2023 में दो अस्थायी आदेशों के तहत 386 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त किया था। इसके साथ ही, अगस्त 2021 में मुंबई की विशेष PMLA कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की गई।
बैंक के लिए RBI की ओर से नियुक्त लिक्विडेटर ने PMLA की धारा 8(8) के तहत कोर्ट में संपत्ति की वापसी के लिए अर्जी दी थी। ईडी ने इसकी सहमति दी।
फिर बाद में कोर्ट ने 22 जुलाई को आदेश जारी किया। इसमें पनवेल की करनाला स्पोर्ट्स अकादमी और रायगढ़ के पोसारी में जमीन को नीलाम करने का निर्देश दिया गया ताकि इसका पैसा जमाकर्ताओं में बांटा जा सके।
जमाकर्ताओं को राहत
इस बैंक में 5 लाख से ज्यादा जमाकर्ताओं ने 553 करोड़ रुपये जमा किए थे। इस घोटाले की वजह से बैंक डूब गया। जमाकर्ताओं के हित में ईडी ने तेजी से कदम उठाए और संपत्ति की वापसी की प्रक्रिया को गति दी। 2019-20 में RBI के ऑडिट के बाद यह फर्जीवाड़ा सामने आया। इसमें पता चला कि पाटिल ने 67 फर्जी लोन खातों के जरिए धन की हेराफेरी की।