बेहद खास है इस बार करवाचौथ का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत कथा

पति तथा पत्नी के प्रेम का अमर पर्व करवाचौथ कार्तिक मास में पड़ता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं। इस व्रत को रखने से पति पत्नी के रिश्तों में माधुर्यता आती है। दाम्पत्य जीवन अच्छा होता है। ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस बार यह व्रत दिनांक 17 अक्टूबर को है।

करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त 

करवा चौथ की तिथि: 17 अक्‍टूबर 2019
करवा चौथ पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर को सायंकाल 05 बजकर 44 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक 

इस वर्ष का करवा चौथ क्‍यों है विशेष
चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी है। चंद्रमा का रोहिणी में रहने के कारण यह व्रत पति पत्नी के प्रेम में और माधुर्यता लाएगा। इस रात्रि चंद्रमा तथा रोहिणी के प्रेम की रस वर्षा में पति पत्नी के बेच अमर प्रेम स्थापित होगा।

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करवा चौथ व्रत की विधि-
एक बात स्पष्ट बता दें कि इस व्रत का उल्लेख बहुत स्पष्ट तौर पर सनातन धर्म के  किसी प्रामाणिक पुस्तक में नहीं है। यह व्रत कई वर्षों से परंपरा में आता चला गया। इसको मनाने की स्पष्ट विधि भी कहीं वर्णित नहीं है। फिर भी चंद्रमा तथा चंद्रोदय से इस व्रत को जोड़ा जाता है। पूरे दिन सुहागिन स्त्रियां निराजल व्रत रखकर अपनी श्रद्धा अनुसार भजन कीर्तन अपनी अपनी विधि से करती हैं। सायंकाल मंदिर जाती हैं। चंद्रमा को देखकर उसको अर्ध्य देकर चलनी से पति तथा चांद को निहारकर पूजा करके पति का चरण स्पर्श करके यह व्रत पूर्ण किया जाता है।

दाम्पत्य जीवन की माधुर्यता को बढ़ाने के लिये पति भी रखें व्रत 
दाम्पत्य जीवन की माधुर्यता को बढ़ाने में पत्नी का एकनिष्ठ समर्पण पति के लिए होना चाहिए तो पति का भी प्रेम तथा समर्पण केवल उसी के लिए ही होना चाहिए। यदि इस व्रत को दोनों रहें तो आनंद भी रहेगा तथा दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा। दाम्पत्य जीवन की धुरी पति तथा पत्नी दोनों पर टिकी होती है। यह परंपरा अब कई जगहों पर प्रारम्भ भी हो चुकी है। कई नव विवाहित जोड़े इस व्रत को निराजल रखते हैं तथा साथ साथ वैवाहिक जीवन के सुख दुख में एक दूसरे का साथ देने का संकल्प करते हैं।

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