बीजेपी सांसद का बड़ा बयान: पद्मावती पर है भारतीय महिलाओं को गर्व, जो स्त्रियां रोज बदलती हैं शौहर वे क्या जानें

फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर सियासी घमासान जारी है। केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और गिरिराज सिंह के बाद अब एक और बीजेपी सांसद ने फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली के खिलाफ हमला बोला है। मध्य प्रदेश के उज्जैन से बीजेपी सांसद और राज्य प्रवक्ता चिन्तामणि मालवीय ने अपने फेसबुक पोस्ट में लोगों से फिल्म के बहिष्कार करने का आह्वान किया है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है मैं फिल्म पद्मावती का पुरजोर विरोध और बहिष्कार करता हूं । और अपने शुभचिंतकों से अनुरोध करता हूं कि इस फिल्म को बिल्कुल न देखें ।
बीजेपी सांसद का बड़ा बयान: पद्मावती पर है भारतीय महिलाओं को गर्व, जो स्त्रियां रोज बदलती हैं शौहर  वे क्या जानेंउन्होंने आगे लिखा है कि फिल्म बनाकर चन्द पैसों के लालच के लिए इतिहास से छेड़छाड़ करना शर्मनाक और घृणित कार्य है । हर भारतीय नारी की आदर्श रानी पद्मावती जी पर भारतीयों को गर्व है। रानी पद्मावती ने अपने सतीत्व और देश और समाज की आन-बान शान के लिए हजारों नारियों के साथ स्वयं को आग में झोंक दिया था । उसे तोड़ मरोड़ कर दिखाना वास्तव में इस देश का अपमान है ।
बीजेपी सांसद ने संजय लीला भंसाली पर हमला बोलते हुए लिखा है कि भंसाली जैसे लोगों को कोई और भाषा समझ नहीं आती है। इन जैसे लोगो को सिर्फ जूते की भाषा ही समझ आती है । यह देश रानी पद्मावती का अपमान नहीं सहेगा । उन्होंने लिखा है कि हम गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़खानी भी बर्दाश्त नही कर सकते ।

चिन्तामणि ने लिखा है कि अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवियों द्वारा लिखे गए गलत इतिहास पर संजय लीला भंसाली ने पद्मावती फिल्म बना दी है । यह न सिर्फ गलत है बल्कि निंदनीय है । जिन फिल्मकारों के घरों की स्त्रियां रोज अपने शौहर बदलती है वे क्या जाने जौहर क्या होता है ? अभिव्यक्ति के नाम पर संजय भंसाली की मानसिक विकृति नही सहन की जाएगी । 
पद्मावती पर थी अलाउद्दीन की बुरी नजर, पढ़िए उमा भारती का खुला खत
इससे पहले केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और गिरिराज सिंह ने भी फिल्म के खिलाफ अपनी बातें कही थी। गिरिराज ने कहा था कि ‘संजय लीला भंसाली और किसी भी फिल्मकार में हिम्मत नहीं कि वह किसी और धर्म पर अधारित फिल्म बनाए या उनपर टिप्पणी करें। वहीं उमा भारती ने खुला खत में लिखा था कि रानी पद्मावती के विषय पर मैं तटस्थ नहीं रह सकती। मेरा निवेदन है कि पद्मावती को राजपूत समाज से न जोड़कर भारतीय नारी के अस्मिता से जोड़ा जाए। 
 

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